6 लाख पशुपालको को होगा फायदा, फ्री लग रहा खुरपका और मुंहपका बीमारी का टीका, पशुओं की बचाएं जान, इस जगह के लोग है पात्र। जानिये क्या है ये खुरपका और मुंहपका बीमारी, कैसे करें इससे पशुओं का बचाव।
खुरपका-मुंहपका से पशुओं को खतरा
पशुपालन करके कई लोग लाखों रुपए कमा रहे हैं। जिसमें पशुओं की सेहत का ध्यान रखना पड़ता है। वहीं बरसात में उनका अलग से ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि बरसात में कई तरह की बीमारियां फैलती है। जिससे पशुओं की जान तक चली जाती है। जी हां आपको बता दे की बरसात में खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों का भी पशुओं को खतरा रहता है। जिससे पशु की हालत बहुत ज्यादा खराब हो सकती है।
इसलिए पशुपालको को पशुओं की देखभाल करनी चाहिए। सरकार की तरफ से पशुओं को मुफ्त में भी टीका लगाया जा रहा है। तो चलिए जानते हैं कौन से क्षेत्र के पशुपालक है जिनके पशुओं को फ्री में टीका लगेगा और इस खुरपाका मुंहपका बीमारी के लक्षण क्या है ताकि सभी भी इसके बारे में सतर्क रहें।
खुरपका-मुंहपका से पशुओं को बचाने के लिए टीका
खुरपका और मुंहपका जैसे गंभीर बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए पशु चिकित्सा विभाग द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें आपको बता दे की 15 जुलाई से यह अभियान शुरू हो चुका है जो की आने वाले 30 अगस्त 2024 तक इसे चलाया जाएगा। इसमें मेरठ जनपद के करीब 6 लाख पशुपालक लाभान्वित होंगे। यह टीकाकरण उन पशुओं को नहीं लगेगा जो 8 महीने के ज्यादा गर्भित है और जिनकी आयु चार माह से कम है। इसके अलावा अन्य सभी पशुओं को यह टीकाकरण लगाया जाएगा, जो की बिल्कुल मुफ्त में होगा।
यहां पर पशुओं को टीका लगाने के बाद उन्हें टैग भी किया जाएगा। जिससे दोबारा से उन्हें टीका ना लग पाए। चलिए जानते हैं यह खुरपका मुंहपका बीमारी कितनी ज्यादा खतरनाक है और पशुओं की कैसे जान तक यह ले सकती है।
खुरपका और मुंहपका बीमारी की पहचान
खुरपका और मुंहपका बीमारी एक खतरनाक बीमारी है। इससे दुधारू पशुओं का दूध भी कम हो जाता है और हालत गंभीर होकर जान तक में बन आती है। तो चलिए जानते हैं इसकी पहचान कैसे होगी, पशुओं में कौन से लक्षण दिखाई देंगे।
- यह बीमारी होते ही पशु खाना पीना छोड़ने लगते हैं और उनको बुखार चढ़ने लगता है।
- पशुओं के मुंह से लार निकलता है और नाक से भी लार निकलता दिखाई देगा।
- इस रोग के होने के बाद पशुओं के थन में भी छाले और घाव नजर आएंगे।
- लंगड़ाने की भी समस्या आ जाती है क्योंकि वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं और उनके खुर पर भी असर होता है। खुर बाहर निकलने लगते हैं। खुर में घाव हो सकता है।
- इसके अलावा जीभ में, मुंह में और मसूड़े आदि में भी घाव देखने को मिल सकता है, और घाव इतने भयंकर होते हैं कि धीरे-धीरे फटने लगते हैं।
इस तरह यह सारे लक्षण पशुओं में नजर आते हैं तो इसका मतलब है कि उन्हें खुरपका और मुंहपका बीमारी हो सकती है। लेकिन अगर इससे बचना चाहते है तो पशुओं को झुंड वाले बाहर घूमने वाले पशुओं से दूर रखना है। क्योंकि संक्रमित मवेशियों के लार मूत्र और मल से ही यह बीमारी फैलती है। साथ ही सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
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