आम के पेड़ों में जबरदस्त उत्पादन के लिए गोबर की खाद के साथ ये चार उर्वरक का उपयोग जरूर करना चाहिए जिससे फलो की पैदावार बहुत शानदार देखने को मिलती है तो चलिए जानते है कौन से उर्वरक है।
आम की बौर से लद जाएंगे पेड़
आम के पेड़ों पर बौर आने का समय आम तौर पर फरवरी महीने से शुरू हो जाता है अक्सर कुछ आम के पेड़ों पर हर साल फल नहीं आते है एक साल छोड़-छोड़ कर आते है एक साल बेहतर बौर अगर आ गई और फल मिल गए, तो दूसरे साल बौर बहुत कम आती है या बिलकुल भी नहीं आती है। इस समस्या को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए आज हम आपको कुछ ऐसे उर्वरक के बारे में बता रहे है जो आम के उत्पादन को कई गुना बढ़ाने के साथ-साथ पेड़ में हर साल फल लाने में लाभकारी साबित होते है। इन उर्वरको का इस्तेमाल फरवरी के महीने में जल्द से जल्द जरुर करना चाहिए तो चलिए जानते है कौन से उर्वरक है।
आम की जड़ों में डालें गोबर के साथ ये 4 उर्वरक
आम की जड़ों में गोबर की खाद के साथ डालने के लिए हम आपको नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और बोरॉन जैसे उर्वरको के बारे में बता रहे है। आम के पेड़ में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का होना जरुरी होता है क्योंकि ये फूल खिलने और फल लगने में मदद करते है फॉस्फोरस की कमी होने पर आम के पेड़ की वृद्धि कम हो जाती है और फल कम लगते है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस आम के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत फायदेमंद साबित होते है। आम के पेड़ों में पोटाश का इस्तेमाल करने से कई फ़ायदे होते है पोटाश पौधों के लिए एक ज़रूरी पोषक तत्व है इससे आम के उत्पादन और गुणवत्ता में फायदा होता है। बोरॉन से आम के पेड़ों के फलों का आकार और गुणवत्ता बेहतर होती है।
कैसे करने उपयोग
आम के पेड़ों में गोबर की खाद के साथ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और बोरॉन का उपयोग बहुत लाभकारी और उपयोगी साबित होता है इनका उपयोग करने के लिए पहले आम के पौधों की मिट्टी की गुड़ाई करने के बाद मिट्टी में 8-10 किलो गोबर की खाद को डालना है फिर 3 साल से ज्यादा उम्र के पेड़ों में प्रति पौधे के हिसाब से 100 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फास्फोरस, 50 से 60 ग्राम पोटाश को भी मिट्टी में मिला देना है और 50 से 100 ग्राम बोरॉन को भी प्रति पौधे के हिसाब से गुड़ाई करने के बाद मिट्टी में डालना है। ऐसा करने से आम के पेड़ों में ज्यादा बौर आएगी और जबरदस्त उत्पादन होगा साथ ही कीट रोग लगने की संभावना भी नहीं रहेगी।