3 महीने तक पराली जलाने पर प्रदेश की राजधानी में बैन लग गया है तो चलिए जानते हैं किसानों को किन आदेशों का करना है पालन-
पराली जलाने पर बैन
कटाई-मिजाई के बाद खेत में बची पराली किसान जला देते हैं। लेकिन अब ऐसा करने पर किसानों पर एफआईआर हो सकती है। आपको बता दे कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पराली जलाने पर बड़ा एक्शन लिया गया है। अब अगर कोई किसान पराली जलाएगा तो उसपर एफआईआर दर्ज की जाएगी।
दरअसल, एडीएम सिद्धार्थ जैन ने बुधवार को पराली जलाने को लेकर निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि 3 महीने तक किसान पराली नहीं जला सकते हैं। सभी एसडीएम पराली जलाने पर कार्यवाही करेंगे, और किसानों पर सख्त कानून लागू हुआ है। अगर वह इसका पालन नहीं करते तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

3 महीने तक नहीं जला सकते पराली
पराली जलाने पर रोक फिलहाल एक निश्चित समय में लगाई गई है। यह आदेश 5 मई 2025 तक लागू होगा। पहले भी कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन हुआ था। पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा था। इसके बाद दोबारा पराली जलाने पर बैन लगा दिया गया है। आगे भी यह आदेश बढ़ाने की संभावना है। क्योंकि पराली किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। फिर भी उसे वह जलाते हैं तो चलिए आपको बताते हैं पराली जलाने से नुकसान क्या है।


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पराली जलाने के नुकसान
पराली जलाने के कई नुकसान इसीलिए सरकार पराली जलाने पर रोक लगा रही है। पराली जलाने से खेत की उर्वरता शक्ति कम होती है। किसान के कीट मित्र खत्म होते हैं। पर्यावरण प्रदूषण होता है। किसान के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा भोपाल द्वारा जो निर्देश जारी किया गया उसमें लिखा है कि इस आग से आसपास के अन्य रहवासी इलाकों को भी नुकसान होता है। आग वहां पहुंच जाती है। इसलिए किसान अब खेत में पड़ा कचरा, डंठल और भूसा आदि ना जलाएं।
इन सब चीजों से किसान जैविक खाद तैयार कर सकते हैं। जिससे मिट्टी उपजाऊ होगी। इसका इस्तेमाल मल्चिंग के रूप में भी कर सकते हैं। कई किसान ऐसे भी हैं जो रोटावेटर या अन्य साधनों के द्वारा डंठल को खेत से हटाकर दूसरी फसलों की बुवाई कर रहे हैं। इस तरह अन्य किसान भी इनसे सीख सकते हैं, और पर्यावरण में प्रदूषण फैलने से रोक सकते हैं।