लहसुन की खेती से ज्यादा फायदा लेना चाहते हैं तो बुवाई के समय खाद का ध्यान रखना पड़ेगा। तो आइए जानते हैं, कौन-कौन सी खाद कितनी मात्रा में देनी है।
लहसुन की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी अच्छी होती है?
लहसुन की खेती के लिए मिट्टी का ध्यान रखना जरूरी है। इससे फायदा होगा, कंद का आकार सही आएगा और सही समय पर फसल तैयार होगी। उत्पादन भी ज्यादा मिलेगा। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि लहसुन की खेती के लिए दोमट या फिर हल्की दोमट मिट्टी अच्छी होती है। साथ ही जल-निकासी का ध्यान रखें। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना बेहतर माना जाता है। लहसुन की खेती करते समय ध्यान रखें कि तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच हो, ताकि अंकुरण अच्छे से हो सके। लहसुन की खेती के लिए खाद की मात्रा
लहसुन की बुवाई के समय कौन-सी खाद डालें?
लहसुन की बुवाई करते समय खाद की मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। संतुलित मात्रा में खाद देने से फसल को आवश्यक पोषण मिल जाता है। कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि कंद का आकार बड़ा करने में उर्वरक की अहम भूमिका होती है। जब खेत की तैयारी करें, तो अंतिम जुताई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद लगभग 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर डालें। बुवाई के समय निम्नलिखित खादें अवश्य दें-
- 50 किलोग्राम नाइट्रोजन
- 50 किलोग्राम सल्फर
- 50 किलोग्राम पोटाश
- 100 किलोग्राम फास्फोरस
- 10 किलो बोरॉन
कंद का आकार बढ़ाने के लिए बुवाई से पहले 10 किलो बोरॉन डालना चाहिए। इससे कंद का आकार बड़ा होता है और किसानों को अधिक आमदनी मिलती है। इसके अलावा, जब फसल 40 से 45 दिन की हो जाए, तब 50 किलो नाइट्रोजन और डालें।
सही वैरायटी और सिंचाई का ध्यान
इन सब चीजों के अलावा सही समय पर अच्छी वैरायटी का चयन भी जरूरी है। बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें। किसानों को लहसुन की बुवाई के बाद एक महीने तक फसल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हर 10–12 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। सिंचाई के बाद यदि खरपतवार उगें तो निराई-गुड़ाई अवश्य करें।

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