किसानों को आने वाले 6 महीने तक बिजली का बिल नहीं देना पड़ेगा। राज्य सरकार ने शुरू की है विशेष योजना, जिससे किसानों को बिजली बिल से मिलेगी राहत।
किन किसानों को मिल रहा 6 महीने बिजली बिल न देने का लाभ
खेती में कई तरह के खर्चे आते हैं, जिसमें एक बिजली बिल का भी खर्च होता है। किसान अच्छी फसल लेने के लिए समय पर सिंचाई करते हैं, जिसके लिए उन्हें बिजली का बिल भरना पड़ता है। जिन किसानों को खरीफ सीजन में मौसम की मार, बाढ़ आदि से नुकसान हुआ है, उनके लिए सरकार ने यह योजना शुरू की है। दरअसल, यहां बात की जा रही है हरियाणा राज्य सरकार की।
जैसा कि आप जानते हैं, बाढ़ और बारिश के कारण किसानों की फसलें खराब हुई थीं, जिसकी वजह से रबी सीजन में उन्हें खेती के खर्च उठाने में दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया है कि बिजली बिल का भुगतान आने वाले 6 महीने तक स्थगित किया जाएगा। किसानों को जुलाई 2025 से दिसंबर 2025 तक बिजली का बिल भुगतान नहीं करना पड़ेगा। तो आइए जानते हैं, कब और कैसे बिजली का बिल देंगे किसान।

6 महीने बाद कैसे देंगे बिजली का बिल किसान
कई किसानों का सवाल है कि अगर 6 महीने तक बिजली का बिल नहीं देंगे, तो उसके बाद क्या प्रक्रिया होगी? तो बता दें कि यह बिजली का बिल स्थगित किया जा रहा है, माफ नहीं किया जा रहा है। हरियाणा सरकार के प्रवक्ता के अनुसार जुलाई 2025 का बिजली बिल किसान जनवरी 2026 में देंगे। अगस्त 2025 का बिजली बिल फरवरी 2026 में जमा किया जाएगा। दिसंबर 2025 का बिल किसान जून 2026 में जमा करेंगे। इस तरह बताया गया है कि प्रदेश के करीब 7.10 लाख कृषि उपभोक्ता इस योजना का फायदा उठा पाएंगे। जी हां, जिनके पास कृषि ट्यूबवेल है, उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा।
किसानों का विलंब शुल्क भरेगी सरकार
जैसा कि आप जानते हैं, बिजली का बिल समय पर न भरने पर विलंब शुल्क (लेट फीस) देना पड़ता है। लेकिन इस बार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है कि अगर किसान 6 महीने तक बिजली का बिल नहीं देंगे, तो विलंब शुल्क सरकार भरेगी। किसानों को इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। जितना बिजली का बिल बनेगा, सिर्फ उतना ही किसानों को बाद में देना होगा।
सरकारी प्रवक्ता द्वारा यह जानकारी दी गई है कि इस 6 महीने की अवधि में यूएचबीवीएन और डीएचबीवीएन द्वारा किसी भी ट्यूबवेल उपभोक्ता से विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। बिजली आपूर्ति सामान्य रूप से किसानों को मिलती रहेगी। बिजली निगम पर जो वित्तीय बोझ पड़ेगा, वह राज्य सरकार वहन करेगी। जिसे Late Payment Surcharge कहा जाता है, वह सरकार द्वारा भरा जाएगा।

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