मोती की खेती से किसान कमा रहा लाखों, जानिए कैसे रामविलास जी ‘वैजयंती की खेती’ करते हैं, जो कि भगवान श्री कृष्णा की पसंदीदा माला है

On: Saturday, April 19, 2025 12:22 PM
वैजयंती की खेती

इस लेख में आपको एक ऐसे किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जो कि मोती की खेती करते हैं तो चलिए आपको बताते हैं किसान रामविलास किस तरीके से वैजयंती की खेती कर रहे हैं-

किसान की सफलता की कहानी

आपने धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों तथा बागवानी, फलों की खेती और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की सफलता की कहानी सुनी होगी। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं फूलों की खेती करने वाले किसान की जो कि अब वैजयंती माला की भी खेती करते हैं। जिससे मोती पैदा होता है, जो कि भगवान कृष्ण का पसंदीदा माला माना जाता है। आपको बता दे किसान का नाम रामविलास है जो कि हरियाणा के रहने वाले हैं।

राम विलास के पास हजारों फूलों की वैरायटी है, नर्सरी है। जिसे वह ऑनलाइन, ऑफलाइन चलाते हैं। देश के कई राज्यों में भेजते हैं। जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है, और कुछ सालों से वह वैजयंती माला की भी खेती कर रहे हैं, तो चलिए आपको बताते हैं इसकी खेती कैसे होती है और कितनी कमाई होती है।

वैजयंती की खेती

किसान वैजयंती की खेती करते हैं, वैजयंती मोती का पौधा लगाते हैं, जो की गुणकारी भी होता है। इसके फूल भी होते हैं, जिसकी बिक्री कर सकते हैं। यानी कि इसमें मुनाफा ही मुनाफा किसान को है। वैजयंती अगर किसान लगाएंगे तो अगस्त-सितंबर में इसमें फूल आते हैं, और ठंड के समय मोती बनने लगते हैं, लगभग बन जाते हैं, और फिर कुछ समय बाद मोती निकाल कर लोग इकट्ठा कर लेते हैं। रामविलास जी पांच साल से इसकी खेती कर रहे है और अन्य किसानों को इसके फायदे बता रहे है।

यह मोती खास किस्म के होते हैं जो की चमकदार होते हैं और अंदर इसमें छेद होता है। यानी की माला बनाने के लिए इसमें छेंद नहीं करना पड़ता है। एक बार पौधा लगा लेंगे तो सालों तक वह खुद अपनी शाखाएं बढ़ता जाता है। पहले साल एक पौधे से 500 तो दूसरे साल हजारों मोती मिलते हैं, यानी कि समय के साथ-साथ मोतियों का उत्पादन बढ़ता जाता है।

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वैजयंती माला की कीमत

वैजयंती मोती की कीमत किसानों को अच्छी मिलती है, क्योंकि इससे माला बनाई जाती है। यह भगवान कृष्ण को पसंदीदा है, धार्मिक स्थलों पर इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है। वैजयंती की माला पहनने से स्वास्थ्य को भी लाभ होता है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, शांति का एहसास होता है। इसके अलावा कहा जाता है कि शुगर को नियंत्रित करने में भी यह मदद करता है। बीपी भी इसे नियंत्रित होती है। यह बीमारी आज कल अधिकतर लोगों में फैल रही है। इसलिए इसकी माला की बिक्री करना आसान है।

एक माला की कीमत की बात करें तो जगह के अनुसार अलग हो सकती है। धार्मिक स्थलों पर ₹500 से ₹1000 तक होती है। जबकि ऑनलाइन असली माला कुछ जगहों पर पांच हजार की बिक रही है। इस तरह आप इसकी खेती से होने वाली कमाई का अंदाजा लगा सकते हैं। किसान रामविलास खुद अब अन्य किसानों को पौध दे रहे हैं। वह कहते हैं कि किसान इसकी खेती से सालाना लाख रुपए की आमदनी ले सकते हैं। एक बार पौधे लगा देंगे तो अगले साल खुद ही नहीं शाखाएं उत्पन्न हो जाएंगे। जिससे लागत कम आएगी।

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