पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है की मौसम पूरी तरह से साफ और स्वच्छ दिखाई दे रहा है। मौसम साफ होने की वजह से तापमान बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से सरसों की फसल में कई रोगों का खतरा बढ़ता जा रहा है। सरसों की फसल कई तरह के रोगों की चपेट में आती नजर आ रही है। अगर ऐसे में फसलों में रोग लगेंगे तो उससे उत्पादन घटने की संभावना बढ़ जाती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
सरसों की फसल
सरसों की फसल की खेती भारत में बहुत बड़े स्तर पर की जाती है। सरसों की फसल की खेती कई किसान करते हैं लेकिन फसल में होने वाले रोगों से किसान बहुत परेशान है। मौसम साफ होने की वजह से और सरसों की फसल में ठंडी ओस पड़ने की वजह से इसमें रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है जिसके चलते फसल खराब होने की संभावना रहती है। इतना ही नहीं इससे फसल से उत्पादन की भी कमी होने की संभावना है।
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सरसों में सफेद रतुआ रोग
सरसों की फसल में रतुआ रोग लगने का खतरा बना रहता है। ऐसा तब होता है जब मौसम पूरी तरह से साफ स्वच्छ रहता है और सुबह के समय में ठंडी और फसलों पर पड़ती है जिसकी वजह से सरसों की फसल में रतुआ रोग लगता है। इस रोग से फसल को बहुत हानि पहुंचती है और उत्पादन में भी कमी आती है। रतुआ रोग फसल के लिए बेहद घातक होता है यह धीरे-धीरे अपनी चपेट में पूरी फसल को ले लेता है और इससे फसल खराब होती है साथ ही उत्पादन में भी कमी आती है।
सरसों की फसल में रतुआ रोग के लक्षण
सरसों की फसल में रतुआ रोग के लक्षण की अगर बात करें तो इससे पत्तियों पर ऊपरी हिस्सों पर सफेद कलर के धब्बे बनने लगते हैं और पत्तियां पीली पड़ने लगती है। इसके साथ ही पत्तियां मुड़ी और घुमावदार बन जाती है साथ ही अगर ज्यादा रोग गंभीर हो जाए तो ऐसे में फलिया काली पड़ जाती है। इस प्रकार रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देते हैं।
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रतुआ रोग से बचाव
सरसों की फसल को रतुआ रोग से बचने के लिए आपको कुछ उपाय आजमाने होते हैं जैसे कि सही समय पर बुवाई करना स्वच्छ और प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल करना साथ ही रोग ग्रस्त फसलों के अवशेष को जलाकर नष्ट कर देना इसके साथ ही समय-समय पर खरपतवार को साफ करना इसके बाद अगर आपको इसमें रतुआ रोग दिखाई देता है तो बीजों पर मेटालेक्जिल दवा का स्प्रे कर देना चाहिए। अगर यह रोग दिखाई देता है तो ऐसे में सिंचाई नहीं करना चाहिए।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों की सलाह है कि फिलहाल मौसम साफ और स्वच्छ होने की वजह से फसलों में उसका नियंत्रण करने के लिए विभाग द्वारा सलाह प्राप्त करनी चाहिए और फसलों पर स्प्रे कर देना चाहिए ताकि फसल इन रोगों से बच सके।
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