किसान अगर कम लागत में सेहतमंद खेती करना चाहते हैं तो चलिए आपको उन सरकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं जिससे राज्य के किसानों की आर्थिक मदद की जा रही है-
सेहतमंद खेती को प्रोत्साहन
सेहतमंद खेती से तात्पर्य जैविक खेती से है। जैविक खेती किसान करेंगे तो पर्यावरण प्रदूषण नहीं होगा, किसान की सेहत बनी रहेगी, विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियां नहीं फैलेंगी, जमीन भी उपजाऊ होगी। जी हां रासायनिक खाद से जमीन धीरे-धीरे बंदर होती जा रही है। एक समय ऐसा आएगा कि जमीन खराब हो जाएगी। जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।
तो चलिए बताते हैं सरकार किन योजना से किसानों की आर्थिक मदद कर रही है, कैसे किसान को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसमें आपको बता दे की हरियाणा राज्य सरकार की तरफ से 1000 से लेकर के ₹30000 तक की योजनाएं चलाई जा रही है।
आर्थिक मदद करने वाली सरकारी योजनाएं
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जानिए केंद्र सरकार किन योजनाओं के तहत किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और आर्थिक मदद की जा रही है-
- जैविक खेती करने के लिए किसानों को गोबर खाद, गोमूत्र आदि की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए गोपालन बहुत बढ़िया विकल्प है। किसान भाई देशी गाय का पालन कर सकते हैं। जिसके लिए देसी गाय के पालन के लिए ₹30000 तक की प्रति गाय पर आर्थिक मदद की जा रही है
- इसके अलावा प्रणाली प्रबंधन के लिए भी सरकार वित्तीय सहायता दे रही है। पराली जलाने से भी पर्यावरण प्रदूषण होता है। पराली से जैविक खाद बनाये जा सकता है। जिसके लिए धान का अवशेष प्रबंधन के लिए एक एकड़ के हिसाब से ₹1000 उन्हें प्रोत्साहन राशि मिल रही है।

- हरियाणा राज्य सरकार धान के अलावा अन्य दूसरी फसले उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। जिसके लिए प्रति एकड़ ₹7000 दिए जा रहे हैं। दरअसल, धान की खेती में अधिक पानी की जरूरत होती है। इसीलिए सरकार चाहती है कि किसान धान के अलावा अन्य दूसरी फसल लगाएं। जिसमें मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत किसानों को ₹7000 प्रति एकड़ के हिसाब से आर्थिक मदद दी जाती है।
- जिन गांवों में सबसे ज्यादा पराली जलाई जाती है। उन्हें रेड जोन पंचायत में शामिल किया गया है, और ऐसी पंचायत को एक लाख रुपए प्रोत्साहन राशि मिलेगी। ताकि वह प्रणाली जलाने का बड़ा प्रबंध कर सके।
- हरियाणा में धान के सीधी बुवाई के लिए सरकार आर्थिक मदद करती है। जी हां इसमें किसानों को ₹4000 एक एकड़ पर सब्सिडी मिलती है। यहां पर नर्सरी तैयार करने की जरूरत नहीं पड़ती है। सीधे खेत में बीज बो दिए जाते हैं। जिससे पानी की कम जरूरत पड़ती है।
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