कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई के बाद सहफसली की खेती से अंधाधुंध कमा रहा किसान, जानें परंपरागत खेती से 4 गुना अधिक मुनाफा देने वाली खेती के मॉडल के बारें में

इस लेख में आपको एक ऐसे युवा किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जो परंपरागत खेती से हटकर फलों की खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं कैसे-

सहफसली की खेती

सहफसली की खेती का मतलब है एक ही खेत में एक से अधिक फसलों की खेती करना। जैसे की धार, मध्य प्रदेश के किसान मनोज बरोदिया कर रहे हैं। यह एक युवा किसान है जिन्होंने कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई की है। लेकिन अब खेती करते हैं। उनके पिताजी भी खेती करते थे। किसान ने बताया कि वह इंटरक्रॉपिंग करते हैं। यानी कि एक साथ कई फसलों की खेती करते हैं।

दरअसल, वह फलों की खेती करते हैं, लेकिन जब तक में फल के पौधे तैयार होते हैं वह अन्य कम अवधि की फसले भी साथ में लगा देते हैं। ताकि उनसे फल की खेती की लागत निकलते रहे और जब फल के पौधे तैयार हो जाते हैं, फल मिलने लगते हैं, तो उससे उन्हें कमाई होने लगती है। फलों के पौधे जबतक तैयार नहीं होते वह सोयाबीन, प्याज और लहसुन की खेती करते है।

किसान ने बताया कि यह खेती परंपरागत खेती की तुलना में चार गुना अधिक मुनाफा देती है। दरअसल, परंपरागत खेती जब वह करते थे तो उतनी ही जमीन से 30 से 35000 रु की कमाई होती थी। लेकिन अब 1 लाख से 1.5 लाख रुपए तक मुनाफा इस खेती से उन्हें हो रहा है, तो चलिए आपको बताते हैं कैसे।

इन फलों की करते हैं खेती

खेती से अधिक कमाई करने के लिए मुनाफे वाली फसलों की खेती की तरफ जाना चाहिए। किसान ने बताया कि 25 बीघा की जमीन में उनका बड़ा बगीचा है। लेकिन इसमें वह कई तरह के फल लगाते हैं। जिसमें 3000 उन्होंने वीएनआर बीही वैरायटी लगाई है। इसके अलावा अन्य भी वैरायटी लगाई है। लेकिन सबसे ज्यादा अधिक कमाई वीएनआर वैरायटी के अमरूद के पौधों से हो रही है। जिसकी बिक्री दिल्ली, मुंबई, वडोदरा जैसे बड़े बाजारों में वह करते हैं। इसके अलावा वह टेस्टिंग के लिए भी अलग-अलग फल लगाते हैं। 500 टेस्टिंग के पौधे हैं।

मतलब कि ऐसे पौधे जो उन्होंने टेस्ट करने के लिए लगाए है। क्योंकि वह जानना चाहते है कि उनकी जमीन पर कैसे होते हैं। अगर उनसे अच्छा उत्पादन मिलता है तो आगे चलकर बड़े पैमाने पर उनकी खेती करेंगे। जिसमें उन्होंने आम, सरीफा, नींबू और अन्य फल लगा रखे हैं। आम में वह केसर वैरायटी के आम की खेती करते हैं। जिसके 1900 पौधे उन्होंने लगा रखे हैं। केसर वैरायटी का आम का स्वाद अच्छा होता है। ज्यादा दिन तक ताजा रहता है और कीमत भी अधिक मिलती है। किसान को अमरुद की खेती से अधिक कमाई हो रही है।

कम पानी में खेती का तरीका

किसान ने बताया कि उनकी जमीन में पानी की कमी थी। पहले पानी की बहुत ज्यादा समस्या थी। जिसके कारण उन्होंने पॉली पाउंड बनाया है। यानी की गड्ढा खोदकर पन्नी बिछाकर, उसमें बरसात का पानी इकट्ठा किया हुआ है। इसके अलावा ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाई है। जिससे 25% पानी ही खर्च होता है। इस तरह कम पानी में भी खेती कर सकते हैं।

अमरुद की खेती

यह भी पढ़े- किसान ने उगाया खेत में काला सोना, 3 हजार रु किलो बिकता है पाउडर, फार्मा कंपनी करती है डिमांड, जाने फसल का नाम

जैविक खेती की तरफ झुकाव

किसान ज्यादातर जैविक खाद जैसे की गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट खाद आदि का इस्तेमाल करते है। जिसमें 30 से 35 ट्रॉली हर साल गोबर की खाद डालते हैं। इसके अलावा नीम खली का भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कभी-कभी रोग बीमारी आती है जिसकी वजह से उन्हें कीटनाशक का इस्तेमाल करना पड़ता है। लेकिन उन्होंने फलों की गुणवत्ता के लिए ऐसा ऐसी व्यवस्था की है कि उन पर कोई असर नहीं पड़ता है। लेकिन धीरे-धीरे वह जैविक खेती की तरह बढ़ रहे हैं।

फलों की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं

किसान ने बताया कि फल की गुणवत्ता अगर अच्छी होती है तो उनकी कीमत भी बढ़िया मिलती है। जिसमें फलों को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने उसे पर पॉली बैग लगाया हुआ है। फलों को बैग के अंदर पैक करके रखने से कई फायदे होते हैं। जिससे बड़ी मंडियों में अच्छी कीमत मिलती है। क्योंकि उनके गुणवत्ता बढ़िया होती है। इसके अलावा जब कीटनाशक आदि का छिड़काव करते हैं तो फलों पर वह नहीं पड़ता है। जिससे वह सेहत के लिए भी फायदेमंद रहता है।

यह भी पढ़े-अजीत चौधरी से सीखे सपनों को हकीकत में बदलना, 2 हजार रु से खड़ा किया 15 करोड़ का बिज़नेस, जानें इंडिया में नंबर वन बनने का रहस्य  

नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद