इस लेख में आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं जो की 20 लाख सालाना पैकेज वाली नौकरी को छोड़कर अब खेती में अपना नाम रोशन कर रहे हैं-
सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना किसान
सबसे पहले हम किसान का परिचय जान लेते हैं जो कि पढ़े लिखे किसान है जिनका नाम जैमिनी कृष्णा है और यह ठाकुरगंज, किशनगंज के निवासी हैं। पहले यह सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर रहे थे। जिसमें सालाना उन्हें 20 लख रुपए की सैलरी मिल रही थी। लेकिन अभी यह खेती कर रहे हैं। दरअसल, जैमिनी कृष्णा बागवानी करते हैं और 12-13 युवाओं को इन्होंने रोजगार भी दिया हुआ है, जो इनके साथ काम कर रहे हैं। यानी कि पहले यह दूसरों के लिए काम करते थे लेकिन आज अपने लिए काम कर रहे हैं, दूसरों को नौकरी दे रहे है और अच्छा खासा इससे मुनाफा भी कमा रहे हैं।
किसान सम्मान समारोह में मिला पुरस्कार
खेती तो देश के कई किसान कर रहे हैं, लेकिन बात करें जैमिनी की तो उन्हें किसान सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया है। उन्हें पुरस्कृत किया गया है। जिसके बाद वह युवाओं के बीच और ज्यादा चर्चा का विषय बन गए है। एक पढ़ा लिखा युवा जिसे अच्छी नौकरी भी मिली है, वह खेती की तरफ आकर्षित हो रहे, खेती में नाम कमा रहे हैं। आपको बता दे कि वह ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं। वह भी सामान्य तरीके से नहीं बल्कि ऑर्गेनिक ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं। जिससे वह फल सेहत के लिए और ज्यादा फायदेमंद हो जाता है और लागत कम होती है।
साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता। चलिए जानते हैं वह किस तरीके से खेती करते हैं, खाद खुद कैसे तैयार करते हैं।

ड्रैगन फल की जैविक खेती
सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। क्योंकि जैविक खाद का इस्तेमाल करने से किसान की सेहत में सुधार होगा। खेत की मिट्टी भी उपजाऊ होगी। पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होगा। जिसमें जैमिनी कृष्णा एक पढ़े लिखे किसान है और वह रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव को समझते हैं। जिससे उन्होंने ऑर्गेनिक खेती करने शुरू किया है। वह खाद को तैयार करते हैं, जिससे बनाने के लिए वह गोबर, सब्जी के अवशिष्ट, गुड़ और छांछ का इस्तेमाल करते हैं।
इन सब चीजों को मिलाकर लिक्विड खाद तैयार करते हैं। चार एकड़ में खेती करते हैं, और 15 दिन में बनने वाले इस खाद को 300 लीटर लिक्विड खाद के रूप में अपनी फसलों को देते हैं। जिससे उन्हें अच्छा रिजल्ट मिल रहा है। उनकी फसल बढ़िया होती है। इससे रासायनिक खाद का खर्चा खत्म होता है।