बंजर धरती भी उगलेगी सोना बरसात में लगा दें ये पौधे, 2 महीने में होगी बंपर पैदावार समेत छप्परफाड़ पैसों की बारिश, जाने कौन-सी खेती है

बंजर धरती भी उगलेगी सोना बरसात में लगा दें ये पौधे, 2 महीने में होगी बंपर पैदावार समेत छप्परफाड़ पैसों की बारिश, जाने कौन-सी खेती है।

बंजर धरती भी उगलेगी सोना

बरसात के मौसम में इस सब्जी के पौधे को बंजर जमीन में लगा देने से बंजर जमीन भी उपजाऊ हो जाती है इस सब्जी की खेती बहुत ज्यादा फायदे की साबित होती है। इस सब्जी की डिमांड बाजार में बहुत अधिक होती है इस सब्जी का स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है जिससे लोग इस सब्जी को खाना बहुत ज्यादा पसंद करते है। ये सब्जी सेहत के लिए भी बहुत फायदे की होती है इसलिए इस सब्जी की बिक्री बाजार में बहुत होती है जिससे इस सब्जी की खेती से बहुत तगड़ा मुनाफा होता है हम बात कर रहे है बरबटी की खेती की तो चलिए जानते है इसकी खेती कैसे होती है।

यह भी पढ़े प्रोटीन के मामले में अंडा भी फेल है इस चीज के आगे, इसको खाने से 1 महीने में बन जाएगी तगड़ी बॉडी, जाने नाम और फायदे

बरबटी की खेती कैसे करें

अगर आप बंजर जमीन में बरबटी की खेती करना चाहते है तो बरसात का मौसम इस सब्जी की खेती के लिए बहुत बढ़िया होता है क्योकि बारिश का पानी पौधों के लिए अमृत के सामान होता है। इसकी खेती अच्छी जल निकास वाली सभी प्रकार की जमीन में की जा सकती है लेकिन बरबटी की खेती के लिए दोमट और मटियार दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का PH मान 5.5 से 6.5 के बीच का होना अच्छा होता है। अधिक पैदावार के लिए खेत की एक गहरी जुताई 2-3 बार करनी चाहिए। बरबटी की खेती करने के लिए इसके पौधों को बीज के माध्यम से लगाया जाता है। बरबटी के पौधे लगाने के बाद 2 से 3 महीने में बरबटी की बेल में फलियों की अच्छी पैदावार होना शुरू हो जाती है।

कितना होगा मुनाफा

अगर आप बरबटी की खेती करते है तो आपको इसकी खेती से बहुत अच्छा मुनाफा होगा क्योकि बरबटी के बीज और फलियां दोनों ही बाजार में बहुत ज्यादा मात्रा में बिकते है। बाजार में बरबटी की डिमांड बहुत अधिक होती है जिस कारण से बिक्री भी अधिक मात्रा में होती है बरबटी की खेती कर के इसकी फलियों को और बीजों को मंडी में बेचने से कम से कम 80 हजार तक का मुनाफा होता है।

यह भी पढ़े अनोखी सब्जी की खेती से किसानों की हो रही है मौज, 30 सालों से लगातार करते आ रहे हैं इसकी खेती, कमाई देख आंखें फटी की फटी रह जाएगी