पिछले कई सालों से जलवायु बहुत बदल चुकी है जिसकी वजह से इसका पूरा असर पहाड़ी इलाकों की फसलों पर देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से कई फसलों के उत्पादन में कमी देखने को मिल रही है। क्लाइमेट सेंट्रल की स्टडी के मुताबिक हिमालय क्षेत्र में पहाड़ी इलाकों में आडू, खुबानी, आलूबुखारा और अखरोट के साथ सब जैसे फलों के उत्पादन में बहुत ज्यादा कमी आ चुकी है।
उत्तराखंड के साथ ही हिमालय में भी बागवानी की कई फसलों पर इसका बहुत बुरा असर देखने को मिला है। इसी को देखते हुए हिमाचल सरकार इन सेब का उत्पादन बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट लेकर आ रही है जिससे कि इन सभी फलों का उत्पादन बढ़ सके। सरकार किसानों को कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रही है। जलवायु की वजह से यह बदलाव देखने को मिल रहा है। सेब और नींबू के उत्पादन में भी बहुत गिरावट आ चुकी है।
साल 2016 से लेकर 2017 में उत्तराखंड में लगभग 25201.58 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब का उत्पादन किया जाता था। लेकिन वही वर्ष 2022 से 23 में इसकी संख्या घटकर 11327.33 हेक्टेयर हो चुकी है। बात से साफ पता चलता है कि हिमाचल में सेब के उत्पादन में कितनी गिरावट आई है।
हिमाचल सरकार का 5 वर्षीय प्रोजेक्ट
हिमाचल प्रदेश सरकार सेब के घटते उत्पादन को लेकर इसकी बागबानी के पुनरुद्धार के लिए लगभग 500 करोड़ रुपए का डेडीकेटेड प्रोजेक्ट लाने जा रही है। यह प्रोजेक्ट लगभग 5 सालों तक चलेगा। जिसमें किसानों को आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुत ज्यादा घनत्व वाले बेगानों को बढ़ावा देने पर पूरा फोकस रहेगा। वही सब के बागानों में पौधों की संख्या बढ़ने पर जोर दिया जाएगा साथ ही उत्पादन को भी बढ़ने पर पूरा फोकस रहेगा।
सेब स्टोरेज और मार्केटिंग सिस्टम
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा शिमला में वित्तीय वर्ष 2023 से लेकर 24 तक और 2024 से लेकर 25 तक के दौरान बागबानी विभाग की योजनाओं की समीक्षा में बताया है कि बागबानी में विविधीकरण की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। इनका कहना है कि किसानों और बागबानों के लिए सही मूल्य सुनिश्चित करने के लिए बहुत अच्छे स्टोरेज और मार्केटिंग सिस्टम को विकसित करने की अभी बेहद आवश्यकता है। इतना ही नहीं इनका कहना है कि जिला स्तर पर आधुनिक कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं स्थापित करने की योजना तैयार की जा रही है जो बागबानों को बहुत ज्यादा सहायता प्रदान करेगी।
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बागबानी विकास योजना
किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए और स्वरोजगार के अवसर देने के लिए सरकार उन जिले में आलू प्रोसेसिंग यूनिट तैयार करने पर कार्य कर रही है साथ ही इन्होंने विभाग की मंडी मध्यस्थता के चलते लाभ हस्तांतरण को प्राथमिकता देने के आदेश जारी किए हैं। जिससे कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। इतना ही नहीं सरकार की बागवानी विकास योजना के चलते पावर टिलर तथा स्प्रेयर पर लगभग 12.84 करोड रुपए का खर्च किया गया जिससे कि लगभग 4244 किसानों को लाभ प्राप्त हुआ है।
नुकसान कम और मुनाफा ज्यादा
सरकार की तरफ से सेब की पैकेजिंग की पहल यूनिवर्सल कार्टन सिस्टम कुछ ही महीने पूर्व शुरू की गई थी। इससे सेब की पैकेजिंग ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग के तरीकों को पूरी तरह से बदल गया था। जिससे कि किसानों को नुकसान कम और फायदा बहुत ज्यादा मिला। सीएम ने बताया कि एंटी हेल नेट योजना में बीते वर्ष 14.45 करोड रुपए खर्च कर दिए गए थे। इसमें भी लगभग 1767 लोगों को इसका लाभ प्राप्त हुआ था।
वही इस साल वर्ष के दौरान अब तक लगभग 10.3 करोड रुपए खर्च कर दिए गए हैं जिसमें लगभग 123 लोगों को लाभ प्राप्त हुआ है। वहीं इसके साथ ही 2023 से लेकर 24 में हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के चलते 11 करोड़ रुपए का खर्च किया गया जिसमें लगभग 750 लोगों को इसका लाभ मिला है।