चाहे सूखा हो या पहाड़ी इलाका, धान की ये किस्म लगाएं, बिना पानी के 25 दिन तक जिंदा रहेगी फसल, जानें किस्म का नाम और नर्सरी तैयार करने की विधि

धान की खेती करने वाले किसानों को अगर पानी की समस्या आ रही है तो आइए आपको धान की ऐसी किस्म के बारे में बताते हैं जिससे 25 दिन तक पानी न देने पर भी फसल पर कोई असर नहीं पड़ेगा-

धान की खेती

अलग-अलग इलाकों में धान की खेती का समय अलग-अलग होता है, जिसमें कुछ इलाकों में अप्रैल से मई के बीच धान की खेती की जाती है जबकि कुछ इलाकों में जून से जुलाई के बीच इसकी खेती की जाती है।

धान एक ऐसी फसल है जिसे सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है, कुछ इलाकों में जहां पहाड़ी इलाका है, पथरीली जमीन है, वहां पानी की समस्या है तो ऐसी स्थिति में धान की खेती मुश्किल हो जाती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने किसानों की इस समस्या को समझा है और धान की ऐसी किस्म का आविष्कार किया है जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देगी।

इस किस्म को कम पानी वाले पहाड़ी इलाकों में लगाया जा सकता है, अगर 20 से 25 दिन तक पानी न मिले तो भी फसल जिंदा रहेगी, तो चलिए आपको बताते हैं इस किस्म का नाम, खासियत और इसकी नर्सरी तैयार करने की विधि।

धान की वह किस्म जिसे कम पानी की जरूरत होती है

धान की वह किस्म जिसे कम पानी की जरूरत होती है उसका नाम IR-64 DRT-1 है। जहां पानी की समस्या है और सूखे जैसी स्थिति बनती है, वहां किसान इसकी खेती कर सकते हैं। झारखंड के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में धान की सूखा प्रतिरोधी किस्म विकसित की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर 20 से 25 दिन तक पानी न मिले तो भी इस फसल को कोई नुकसान नहीं होगा। कम पानी की वजह से यह मुरझाएगी या सूखेगी नहीं।

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इस किस्म से कितना उत्पादन मिलेगा

अब बात करते हैं उत्पादन की। जहां पानी नहीं है और सूखे जैसी स्थिति है, वहां किसान को सीधा नुकसान होता है और फसल बर्बाद हो जाती है। लेकिन अगर हम इस धान की IR-64 DRT-1 किस्म को लगाते हैं, तो हमें एक एकड़ में 16 क्विंटल और एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। इसे तैयार होने में 100 से 110 दिन लगते हैं। आइए जानते हैं इसकी नर्सरी तैयार करने के बारे में।

कैसे तैयार करें नर्सरी और कब करें बुवाई

अगर किसान सही तरीके से नर्सरी तैयार करते हैं, तभी भविष्य में फसल अच्छी होगी, जिसमें खेत को अच्छी तरह से तैयार करें, उसके बाद 1 मीटर के आकार में लगभग 20 ग्राम फ्यूराडान का छिड़काव करें, फिर बीज बोएं। जिन किसानों के खेतों में दीमक या कीटों का प्रकोप है तो इसे लगाने से इस समस्या से राहत मिलेगी, जिससे दीमक इन्हें नहीं खाएंगे, अंकुरण अधिक होगा।

वहीं खेती के समय की बात करें तो अगर मानसून के बाद इसकी खेती की जाए तो सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ेगी, किसान इसके पहले सप्ताह में भी इसकी खेती कर सकते हैं, एक एकड़ में 16 किलो बीज की जरूरत होगी, अगर हेक्टेयर में रोपाई करते हैं तो 40 किलो बीज लिया जा सकता है, 40 किलो बीज से 40 क्विंटल उत्पादन भी प्राप्त होता है।

इस किस्म का पौधा करीब 21 दिन में तैयार हो जाता है, उसके बाद रोपाई की जाती है जिसमें एक पौधे से दो पौधे निकलते हैं और दोनों को रोप दिया जाता है, अगर समय पर खाद डाली जाए तो उत्पादन भी अच्छा होगा। इस तरह धान की खेती करने वाले जिन किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या पानी की होती है तो इससे उन्हें निजात मिल जाएगी।

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