अक्टूबर में अमरूद के पौधों में करें ये काम, अनगिनत अमरूदों से लद जाएगी पौधे की हर एक डाल 2 KG ये घोल दिखाएगा अपना कमाल

On: Sunday, October 19, 2025 10:00 AM
अक्टूबर में अमरूद के पौधों में करें ये काम, अनगिनत अमरूदों से लद जाएगी पौधे की हर एक डाल 2 KG ये घोल दिखाएगा अपना कमाल

अमरूद की खेती बहुत उत्कृष्ट होती है सर्दियों में अमरूद की पैदावार अच्छी प्राप्त लेने के लिए पौधे की देखभाल और उचित उर्वरक की पूर्ति करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है।

अक्टूबर में अमरूद के पौधों में करें ये काम

अक्टूबर का महीना अमरूद की बागवानी वाले किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है इस महीने में किसानों को अपने अमरूद के पौधों की हल्की कटाई-छंटाई करना चाहिए और पौधों को संतुलित मात्रा में खाद देना चाहिए जिससे पौधे में अच्छे कल्ले निकलते है और सर्दियों में अमरूद की उपज जबरदस्त उच्च गुणवत्ता वाली प्राप्त होती है। खाद की पूर्ति के लिए इस महीने में पौधों में गोबर की कम्पोस्ट खाद या वर्मीकम्पोस्ट,  नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश देना चाहिए। इसके अलावा आज हम आपको एक ऐसी घोल के बारे में बता रहे है जो अमरूद के पौधों को कवक से बचाता है। ये घोल कवक को नियंत्रित करने के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। आपको बता दें है मिट्टी की सतह से लगभग 60-70 सेमी तक नीचे की सभी टहनियों को काट देना चाहिए। जिससे नए कल्ले निकलेंगे जिन पर उच्च गुणवत्ता वाले फल आएंगे। 

अमरूद के पौधों में ये घोल दिखाएगा कमाल

अमरूद के पौधों की हल्की छंटाई करने के बाद पौधों में चूना और नीला थोथा के घोला को लगाने के बारे में बता रहे है। ये एक प्राकृतिक फंगीसाइड है ये न केवल फंगस रोगों से बचाव करता है बल्कि पौधों को दीमक से भी सुरक्षित रखता है। इसके इस्तेमाल से पौधे की ग्रोथ भी बहुत तेजी से होती है और पौधा अधिक मजबूत होता है क्योकि चूने में कैल्शियम का उच्च स्रोत होता है।

कैसे करें प्रयोग

अमरूद के पौधें में चूने और नीला थोथा का उपयोग करने के लिए सबसे पहले घोल तैयार करना होगा घोल तैयार करने के लिए उचित मात्रा को ध्यान में रखते हुए घोल बनाना है इसके लिए एक बाल्टी पानी में 2 किलोग्राम चूना और 200 ग्राम नीला थोथा को घोलना है फिर इस घोल को ब्रश की सहायता से अमरूद के तनों पर पुताई के जैसे पोतना है। और कटिंग वालों हिस्सों पर भी इसे लगाना है ऐसा करने से कवक का अटैक पौधों में नहीं होगा और पौधे फंगस से दूर रहेंगे। जिससे फलों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

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