कुंदरू की फसल में कई प्रकार के रोगों और कीटों के लगने का खतरा होता है। ऐसे में कुंदरू की पैदावार घट जाती है इनसे बचाव के लिए किसानों को रोगों के लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द रोकथाम के उपाय करना चाहिए।
कुंदरू की फसल में रोगों का प्रकोप
कुंदरू की खेती किसानों व्यावसायिक रूप से करना पसंद करते है ये एक ऐसी फसल है जिसको एकबार लगाने के बाद 3 से 4 साल तक पैदावार मिलती रहती है कुंदरू की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को फसल की देखभाल अच्छे से करना चाहिए और रोग लगने पर नियंत्रण के उपाय करना चाहिए जिससे फसल अच्छी रहती है कुंदरू की फसल में फ्रूट फ्लाई, एफिड, थ्रिप्स, डाउनी मिल्ड्यू जैसे कीट और रोग का आतंक होता है इनसे बचाव करना बहुत जरुरी होता है। क्योकि ये फसल को नुकसान पहुंचाते है और उपज गुणवत्ता को कम करते है। जिससे किसानों का बहुत नुकसान होता है। तो चलिए इनसे बचाव के लिए उपाय जानते है।
कुंदरू की फसल में फ्रूट फ्लाई
फ्रूट फ्लाई जिसे फल मक्खी के नाम से भी जाना जाता है ये कुंदरू के फलों पर सीधा अटैक करती है इसके लक्षण पहचानने के लिए मक्खी द्वारा किए गए छेद के कारण फफूंद और बैक्टीरिया का संक्रमण होता है, जिससे फल सड़ जाते हैं। फलों पर भूरे रंग के सड़े हुए धब्बे और घाव हो जाते हैं। इसे बचाव के लिए किसान फेरोमोन ट्रैप का उपयोग कर सकते है या ज्यादा जरूरत पड़ने पर प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर क्विनालफोस या 1 मिलीलीटर लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन जैसे कीटनाशक का छिड़काव कर सकते है।

कुंदरू की फसल में एफिड और थ्रिप्स
कुंदरू की फसल में एफिड और थ्रिप्स दोनों ही कीट पौधों का रस चूसते है एफिड्स आमतौर पर पत्तियों के नीचे या नई ग्रोथ पर गुच्छों में पाए जाते है जबकि थ्रिप्स पत्तियों पर चांदी जैसे सफेद धब्बे या खरोंच के निशान छोड़ते है।इनसे बचाव के लिए किसान इमिडाक्लोप्रिड या कोराजेन दवा का उपयोग कर सकते है। इन दवा के छिड़काव से ये कीट नियंत्रित होते है। जिससे फसल पर खराब प्रभाव नहीं पड़ता है।

कुंदरू की फसल में डाउनी मिल्ड्यू
कुंदरू की फसल में डाउनी मिल्ड्यू एक फफूंद जनित रोग है जो पत्तियों पर धब्बों और सफेद फफूंद के रूप में दिखता है। इसके प्रभाव से पत्तियां सुखकर जल्दी नीचे गिरने लगती है। पौधों का विकास रुक जाता है और उपज में खराब असर पड़ता है डाउनी मिल्ड्यू की रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और कासुगामाइसिन का मिश्रण प्रभावी होता है।

इनका उपयोग उत्पाद के लेबल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार पढ़कर सही मात्रा और पानी के साथ घोल बनाकर उपयोग करना महत्वपूर्ण है।

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