दिव्यांग किसान को मिला पद्म श्री पुरस्कार, एक बीघा से कमाए 3 लाख रु, ब्रिटेन की संसद में मिला भारत गौरव अवॉर्ड, जानिए सफलता का राज

दिव्यांग किसान खेती से न केवल पैसा कमा रहे हैं, बल्कि देश और विदेश में भी नाम रोशन कर रहे हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी-

दिव्यंगता को हराकर पाया पद्मश्री सम्मान

गुजरात के बनासकांठा जिले के रहने वाले गीनाभाई पटेल एक दिव्यांग किसान हैं। उन्होंने अपनी दिव्यंगता को कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि अपने बुलंद हौसले और मेहनत के दम पर करोड़पति किसान बन गए। वे फल विशेषकर अनार की खेती करते हैं।

खेती में उनके योगदान और साहस को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में सफल किसानों के उदाहरण देते हुए गीनाभाई पटेल का नाम लिया है।

कठिन सफर से मिली सफलता

हर सफलता के पीछे एक संघर्ष की कहानी होती है। गीनाभाई पटेल को सिर्फ अपने शरीर की अक्षमता से ही नहीं, बल्कि समाज और रिश्तेदारों से भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

लोगों का मानना था कि बनासकांठा में अनार की खेती नहीं की जा सकती, लेकिन गीनाभाई ने इस सोच को गलत साबित कर दिखाया। उन्होंने 2004 में अनार की खेती की शुरुआत की। एक बीघा जमीन में 250 पौधे लगाए, जिससे उन्हें करीब ₹3 लाख की कमाई हुई। इससे पहले वे पारंपरिक फसलों की खेती करते थे, जिससे सालाना मात्र ₹10,000 से ₹12,000 तक की ही आय हो पाती थी।

अब हजारों किसान ले रहे हैं उनसे सीख

जो लोग पहले उनकी निंदा किया करते थे, आज वही लोग उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। हजारों किसान अब उनसे खेती के तरीके सीखकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।

गुजरात में आज 5 करोड़ से ज्यादा जमीन पर अनार के पौधे लगाए जा चुके हैं। उनके खेतों में अब तक 17,000 से ज्यादा लोग भ्रमण कर चुके हैं। उन्हें 10 राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। यही नहीं, ब्रिटेन की संसद में भी उन्हें भारत गौरव अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

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अनार की खेती से उत्पादन

अगर आप भी अनार की खेती करना चाहते हैं, तो जान लें कि इसके लिए हल्की सर्दी और, अर्ध शुष्क, गर्म जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी की बात करें तो 7.5 पीएच वाली, मध्यम गहराई की दोमट मिट्टी इसमें अच्छी मानी जाती है।

अनार के पौधे 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में बेहतर पनपते हैं। अधिक बारिश (पाला) से पौधों को नुकसान हो सकता है, इसलिए जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए।

उत्पादन की बात करें तो एक पेड़ से अगर 25 किलो फल निकलता है, और बाजार में ₹50 प्रति किलो भाव मिले, तो एक बीघा से ₹3 लाख तक की कमाई संभव है।

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