अनेकों रंग से भरे हुए इस फल की खेती से होगा लाखों में मुनाफा, कम लागत में तगड़ा फायदा। फालसा एक महत्वपूर्ण फलदार पौधा है, जो गर्मी के मौसम में फल देता है। यह फल अपने खट्टे-मीठे स्वाद और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी खेती खासतौर पर उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है। आइए इसकी खेती के बारे में जानते है।
फालसा की खेती जलवायु और मिट्टी
फालसा के लिए गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र सबसे उपयुक्त होते हैं। अधिक ठंडक या पाला फालसा की फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। बलुई दोमट मिट्टी फालसा की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान लगभग 6.0-7.5 होना चाहिए। खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
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फालसा की खेती कैसे करें
फालसा की बुवाई फरवरी से मार्च महीने में की जाती है। पौधे को खेत में लगाने के लिए कलम या बीज का इस्तेमाल किया जाता है। खेत को 2-3 बार गहरी जुताई करके तैयार करें। प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालें। पौधों की रोपाई के लिए 3×3 मीटर की दूरी रखें। फालसा की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है।
गर्मियों में 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। पौधा रोपाई के 2-3 साल बाद फल देना शुरू करता है। प्रति हेक्टेयर 6-8 टन तक उपज प्राप्त होती है। फल मार्च से जून के बीच तैयार होते हैं। फलों की तुड़ाई सुबह के समय करें। फलों को प्लास्टिक की टोकरियों में इकट्ठा करें और बाजार में भेजें।
फालसा से कमाई
कम लागत में अच्छी कमाई। औषधीय गुणों के कारण बाजार में इसकी मांग अधिक होती है। गर्मी के मौसम में इसका जूस और स्क्वैश काफी लोकप्रिय है। फालसा की खेती में प्रति हेक्टेयर कुल खर्च लगभग ₹40,000-50,000 आता है। फालसा से प्रति हेक्टेयर आमदनी लगभग ₹1,50,000-2,00,000 रूपए हो जाती है जिसमे सीधा मुनाफा लगभग ₹1,00,000-1,50,000 रूपए हो जाता है।
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