इस रेशेदार फसल की खेती चमका देगी किसानों की किस्मत, जाने खेती का बेहद आसान तरीका। जूट एक महत्वपूर्ण रेशेदार फसल है, जिसे “सुनहरा रेशा” भी कहा जाता है। इसका उपयोग बोरे, रस्सी, चटाई, कालीन और कपड़े बनाने में किया जाता है। भारत और बांग्लादेश विश्व में जूट उत्पादन के प्रमुख देश हैं। इस खेती से किमानो को तगड़ा मुनाफा होगा। आइए इसकी खेती के बारे में जानते है।
जूट की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी और जलवायु
जूट की फसल दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH मान 5.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए। जूट की फसल गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद करता है।
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जूट की खेती कैसे करें
जूट की खेती मार्च से मई के समय यानि की मानसून के पहले या मानसून की शुरुआत में करते है। जूट के बीज को 3-4 सेमी की गहराई पर बोया जाता है। कतार से कतार की दूरी 20-25 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 5-7 सेमी रखी जाती है। प्रति हेक्टेयर 5-7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती।
जूट की खेती के लिए वर्षा आधारित क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती। सूखे क्षेत्रों में 1-2 सिंचाइयां आवश्यक होती हैं। जूट की फसल 120-150 दिनों में तैयार हो जाती है। जब पौधे में फूल आने लगते हैं तब कटाई की जाती है। जूट का उत्पादन लगभग 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल जाता है।
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जूट की किस्में
कोरा जूट
देशी जूट
जूट का इस्तेमाल
जूट का इस्तेमाल कई चीजे बनाने में किया जाता है जैसे रस्सी, बोरे, चटाई और थैले, ग्रीन बैग, कालीन और सजावटी वस्तुएं के साथ कागज उद्योग के लिए भी इस्तेमाल में लाए जाते है।
जूट से कमाई
जूट की खेती में 1 एकड़ में लागत लगभग 18000 रुपए आ सकती है जिसके बाद आप इसकी खेती से लगभग एक एकड़ जमीन में 20000 से लेकर 600000 लाख आराम से कमाई कर सकते हैं। इस प्रकार आप जूट से बहुत जबरदस्त कमाई कर सकते है।

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