जनवरी महीने के आखिरी हफ्ते में किसानों को मौसमी सब्जियां जैसे लौकी, खीरा, तुरई, करेला, खरबूजा और तरबूज की खेती से अच्छा उत्पादन मिलता है। मौसमी सब्जियों की खेती से किसानों को मुनाफा तो अच्छा मिलेगा ही मिलेगा साथ ही उत्पादन भी इतना ज्यादा मिलेगा की आप बार-बार इन सब्जियों की खेती करेंगे। इन मौसमी सब्जियों की खेती से जबरदस्त मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है जिसके लिए आपको इसकी खेती के लिए खास तरीका अपनाना होगा। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सब्जियों की खास किस्में
लौकी की किस्में :- पूसा समर प्रोलिफिक लोंग, पूसा नवीन, पूसा संकर-3 जैसी किस्मों की खेती करें।
खीरे की किस्में :- पूसा उदय, पूसा संयोग किस्मों की खेती करें।
करेले की किस्में :- अर्का हरित और पूसा विशेष की खेती करें।
तुरई की किस्में :- पूसा विश्वास और अर्का चंदन की खेती करें।
तरबूज की किस्में :- सुगर बेबी और दुर्गापुरा मीठा की खेती करें।
खरबूजे की किस्में :- पूसा शरबती और पूसा मधुरस की खेती करें।
मौसमी सब्जियों की इन सभी फसलों की सही किस्म का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा उत्पादन देगा अगर आप बताई गई इन किस्म का इस्तेमाल करके खेती करते हैं तो आपको अच्छा मुनाफा प्राप्त होगा।
मौसमी फसलों की बुवाई का सही समय और खेती का तरीका
किसानों को बताई गई इन सभी मौसमी सब्जियों की खेती करने के लिए जनवरी महीने में नर्सरी तैयार करना होगा जिसके बाद में फरवरी के पहले या दूसरे हफ्ते में इसकी रोपाई करनी होगी। बता दे की बुवाई के लिए आपको खेत में लगभग 60 सेंटीमीटर नालियां बनाना होगा। इसके बाद आपको पौधों की रोपाई करनी होगी।
मौसमी फसलों में उर्वरकों का इस्तेमाल
इन सभी फसलों में खेती करते समय आपको गोबर खाद के साथ डीएपी और पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय ही डाल देनी चाहिए। इसके बाद में यूरिया की एक तिहाई मात्रा आपको बुवाई के बाद में 20 से 25 दिन के बाद और दूसरी बार तिहारी मात्रा पौधे पर फूल दिखाने लगे उसे समय डालना चाहिए। इतना ही नहीं आपको इस बात का खास ध्यान रखना है कि फूल आने के बाद में किसी भी उर्वरक का इस्तेमाल खेत में नहीं करना है।