फरवरी में सब्जी की खेती से मुनाफा कमाना चाहते हैं तो चलिए आपको कम खर्चे में ज्यादा उत्पादन से तगड़ी कमाई करने वाली सब्जी की जानकारी देते हैं-
फरवरी में सब्जी की खेती
फरवरी में कई सारी सब्जियों की खेती की जाती है, जिनकी जानकारी हम आपको लगातार दे रहे हैं। जिसमें आज हम फिर एक ऐसी सब्जी की जानकारी लेकर आए हैं, जिसमें खर्चा तो कम आएगा लेकिन उत्पादन ज्यादा मिलेगा। कमाई भी अधिक होगी। मंडी में कीमत भी बढ़िया मिल जाएगी। दरअसल हम भिंडी की खेती की बात कर रहे हैं। इसमें प्लास्टिक मल्च का खर्चा नहीं आएगा जिससे खेती की लागत बेहद कम हो जाती है। चलिए आपको बताते हैं भिंडी की खेती फरवरी में कैसे करें, जिससे अधिक से अधिक उत्पादन मिले, इसकी खेती में लागत कितनी आएगी, उत्पादन कितना मिलेगा, कमाई कितनी होगी, इसके बारे में भी आपको जानकारी दी जाएगी।
भिंडी की खेती
नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार जाने फरवरी में भिंडी की खेती कर रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखें-
- भिंडी की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें उसके बाद पलेवा चला कर दो बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और बेसल डोज देकर एक जुताई करके बुवाई करें।
- बढ़िया उत्पादन लेने के लिए दो से तीन ट्रॉली गोबर की सड़ी पुरानी खाद डालें।
- एक एकड़ में 7 से 8 किलो बीज की जरूरत पड़ती है।
- अच्छा उत्पादन लेने के लिए बढ़िया वैरायटी का चुनाव करें। जिसमें एडवांटा की राधिका अच्छी वैरायटी है। इसके अलावा किसान मंडी में भी देख सकते हैं उनके मंडी में किस वैरायटी की अधिक कीमत मिलती है।
- बेसल डोज जब देते हैं तो उस समय 500 ग्राम फंगीसाइड भी डालें।
- भिंडी की खेती कर रहे हैं तो तुड़ाई के समय ध्यान रखें कि हर सप्ताह तुड़ाई जरूर करें। अगर 6-7 दिन के अंतराल में तुड़ाई नहीं करते हैं तो किसानों को नुकसान हो सकता है। पैदावार कम हो जाएगी और मंडी में कीमत भी अच्छी नहीं मिलेगी।
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भिंडी का उत्पादन और कमाई
भिंडी की खेती में किसानों को बढ़िया उत्पादन मिलेगा तभी तो कमाई अच्छी होगी। जिसमें अगर किसान बढ़िया से खेती करेंगे, खाद-पानी, तापमान, मिट्टी सबका अच्छे से ध्यान रखेंगे किसी तरह की रोग बीमारी फसल को नहीं लगने देंगे, तो 1 एकड़ से 50 से 70 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। जिसमें मान लीजिए की 60 क्विंटल भी उत्पादक किसानों को मिल रहा है और 20-25 रुपए मंडी भाव भी अगर मिलते हैं तो उस हिसाब से डेढ़ लाख रुपये इससे कमाया जा सकता है।
जिसमें 20 से 30000 लागत जाती है। अगर किसानों के पास किसी तरह की सुविधा नहीं है तो लागत 50000 भी बैठ सकती है। तो इस हिसाब से ₹100000 शुद्ध मुनाफा यहां पर हो रहा है। लेकिन अगर मंडी में ज्यादा कीमत मिलती है, किसानों के पास पानी जैविक खाद, ट्रैक्टर, पानी आदि की सुविधा है तो लागत कम हो जाती है बीज का खर्चा बस आता है।