सोयाबीन की ये किस्म खेती के लिए बहुत लाभकारी होती है इसकी खेती में लागत बहुत कम आती है तो चलिए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते है।
सोयाबीन की इस किस्म की करें खेती
सोयाबीन की खेती के लिए 20 जून से 5 जुलाई के बीच का समय बहुत उपयुक्त माना जाता है इसकी खेती में अधिक उपज के लिए अच्छी गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक किस्म का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण काम होता है आज हम आपको सोयाबीन की एक ऐसी किस्म के बारे में बता रहे है जो खेती के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है ये किस्म कम समय में पककर तैयार हो जाती है इसकी डिमांड बाजार में बहुत होती है इसके बीज मोटे होते है। हम बात कर रहे है सोयाबीन की एनआरसी 37 किस्म की खेती की इसे अहिल्या 4 के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए इसकी खेती के बारे में जानते है।

कैसे करें खेती
अगर आप सोयाबीन की एनआरसी 37 किस्म की खेती करना चाहते है तो आपको इसकी खेती के बारे में अच्छे से जानना होगा जिससे आपको खेती करने में कोई परेशानी नहीं होगी। सोयाबीन की एनआरसी 37 किस्म की खेती के लिए मध्यम से भारी, रेतीली से दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है। इसकी बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी में गोबर की खाद डालनी चाहिए। इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 80 से 100 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते है। बुवाई के बाद इसकी फसल करीब 95-100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
कितनी होगी कमाई
अगर आप सोयाबीन की एनआरसी 37 किस्म की खेती करते है तो आपको इसकी खेती से बहुत जबरदस्त कमाई देखने को मिलेगी एक हेक्टेयर में सोयाबीन की एनआरसी 37 किस्म की खेती करने से करीब 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देखने को मिलती है। आप इसकी खेती से लाखों रूपए की कमाई आराम से कर सकते है। ये सोयाबीन की एक उच्च पैदावार देने वाली किस्म है।