ये फसल की खेती किसानों के लिए डूबते को तिनके का सहारा की तरह होती है अक्सर बाढ़ आने के कारण किसान बहुत नुकसान झेलते है और अपने खेतों में कोई फसल नहीं लगा पाते है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में बता रहे है जिसकी खेती बाढ़ ग्रसित इलाकों में भी की जा सकती है।
काले सोने के नाम से महशूर ये फसल की करें खेती
इस फसल की खेती किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है लेकिन अब किसानों ने इसकी खेती करना बहुत कम कर दिया है क्योकि इसकी फसल को लूट लिया जाता है ये मार्केट में बहुत महंगी बिकती है इसलिए इसको काला सोना भी कहा जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से खरीफ के मौसम में की जाती है। इसकी खेती में खर्चा भी अधिक नहीं आता है और कमाई बहुत शानदार होती है। हम बात कर रहे है कलाई की खेती की जिसके लिए उड़द दाल या काला मांह की प्रजातियों को उगाया जाता है। कलाई की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा होती है।

कलाई की खेती
कलाई की खेती किसान व्यावसायिक रूप से कर सकते है और अच्छा जबरदस्त पैसा कमा सकते है। कलाई की खेती कीचड़नुमा खेत में भी की जा सकती है लेकिन अच्छा उत्पादन पाने के लिए इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट से लेकर रेतीली दोमट मिट्टी उत्तम होती है। इसकी बुवाई से पहले खेत को तैयार करना चाहिए और मिट्टी में खाद डालना चाहिए और मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखना चाहिए। अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ 10-12 किलो बीजों उपयोग करना चाहिए। इसके बीजों को उचित दूरी पर 3-4 सेंटीमीटर गहराई में बोया जाना चाहिए। बरसात में इसकी खेती में ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। लेकिन सूखे की स्थिति में लगग 2-3 बार सिंचाई करनी चाहिए। इसकी खेती में खरपतवारों को नियंत्रित करना चाहिए बुवाई के बाद इसकी फसल करीब 130 से 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। जब इसकी फलियां 80% भूरे रंग की हो जाएं तब कटाई करना उचित होता है।
कितना होगी कमाई
अगर किसान कलाई की खेती करते है तो बहुत जबरदस्त मुनाफा कमा सकते है। क्योकि ये मार्केट में काफी डिमांडिंग और ज्यादा महंगी बिकने वाली होती है ये मार्केट में लगभग 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के रेट पर बिकती है। आप इसकी खेती से एक एकड़ में लाखों रुपए की कमाई आराम से कर सकते है इसकी खेती से न केवल दाल का उत्पादन प्राप्त होता है बल्कि इसकी खेती से हरा चारा भी मिलता है ये जानवरों के लिए सबसे उत्तम हरा चारा माना जाता है इसमें भरपूर पौष्टिक तत्व होते है अगर फसल के लिए बोते है तो इसको अलग विधि से बोयें ये हरा चारा के रूप में भी महंगा बिकता है इससे पशु में दूध बढाने की क्षमता अत्यधिक हो जाती है।

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