ना मौसम की मार, ना जंगली जानवर के आतंक का डर इन 3 औषधीय फसल की करें खेती छप्परफाड़ होगी कमाई, जाने नाम और काम

ना मौसम की मार, ना जंगली जानवर के आतंक का डर इन 3 औषधीय फसल की करें खेती छप्परफाड़ होगी कमाई, जाने नाम और काम।

औषधीय फसलों की करें खेती

आज हम आपको 3 ऐसे फसल की खेती के बारे में बता रहे है जो बहुत लाभकारी और मुनाफे वाली साबित होती है ये फसल औषधीय गुणों से भरपूर होती है इनका उपयोग जड़ी बूटी दवा को बनाने के लिए किया जाता है। जो कई बिमारियों का इलाज करने में बहुत फायदेमंद होती है। इनकी डिमांड मार्केट में बहुत होती है। आप इन औषधीय फसलों की खेती से बहुत शानदार कमाई कर सकते है। हम बात कर रहे है लेमन ग्रास, सफ़ेद मूसली, शतावरी की खेती की इनकी खेती की सबसे खास बात ये है की इन फसलों में कीट-पतंगों जंगली जानवर के आतंक का डर बिलकुल भी दर नहीं होता है और फसल एकदम सुरक्षित रहती है। तो चलिए जानते है इनकी खेती कैसे की जाती है।

लेमन ग्रास की खेती

लेमन ग्रास एक औषधीय पौधा है इसकी खेती बहुत फायदेमंद होती है लेमन ग्रास का तेल बाजार में बहुत महंगा बिकता है और बहुत डिमांडिंग भी होता है लेमन ग्रास की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है इसकी खेती के लिए जल निकासी वाली दोमट उपजाऊ मिट्टी अच्छी होती है। लेमन ग्रास को एकबार लगाने के बाद छह से सात बार काटा जा सकता है। एक हेक्टेयर से साल भर में करीब 325 लीटर तेल निकलता है इसका तेल बाजार में करीब 800 से 1000 रूपए प्रति किलो तक होता है आप इसकी खेती से लाखों रूपए की कमाई कर सकते है।

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सफेद मूसली की खेती

अगर आप औषधीय पौधे की खेती कर के तगड़ी कमाई करना चाहते है तो सफेद मूसली की खेती सबसे ज्यादा लाभकारी होती है इसकी खेती के लिए दोमट, रेतीली दोमट, लाल दोमट, और लाल मिट्टी अच्छी मानी जाती है मिट्टी का पीएच मान 7.5 तक होना चाहिए। सफ़ेद मूसली की खेती के लिए बीजों का उपचार रासायनिक या जैविक तरीके से करना चाहिए। एक एकड़ में सफ़ेद मूसली की खेती करने पर करीब 5 लाख रूपए तक की कमाई हो सकती है।

शतावरी की खेती

शतावरी की खेती बहुत फायदेमंद मानी जाती है। शतावरी एक बारहमासी फ़सल है शतावरी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है एक हेक्टेयर खेत में रोपाई के लिए करीब 12 किलोग्राम शतावरी के बीज की ज़रूरत होती है। शतावरी के बीजों को 30-40 सेंटीमीटर चौड़े बैडों पर बोना चाहिए। शतावरी के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। एक एकड़ में शतावरी की पैदावार 350 क्विंटल गिली जड़ें होती है जो सूखने के बाद 35 क्विंटल रह जाती है आप इसकी खेती से करीब 5 से 6 लाख रूपए की कमाई आराम से कर सकते है।

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