धान की खेती का एक ऐसा तरीका यहां पर बताया जा रहा है जिससे एक किसान बहुत सारे पैसे बचा सकते हैं और मेहनत भी कम लगेगी, पानी भी कम लगेगा, और धान की खेती बढ़िया से होगी-
धान की खेती का तरीका
धान की खेती के कई तरीके हैं, जिसमें आज जिस विधि की बात की जा रही है उससे किसान कई तरह की बचत कर सकते हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण पैसों की बचत है। आपको बता दे इस तरीके से ₹6000 बचा सकते हैं, और पानी भी कम लगेगा। यानी की सिंचाई का खर्चा भी बच जाएगा। दरअसल, धान की डीएसआर विधि की बात की जा रही है तो चलिए आपको बताते हैं इस विधि में खेती कैसे होती है।
धान की सीधी बुवाई
धान की सीधी बुवाई के लिए कई राज्य सरकारें किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं। धान की सीधी बुवाई करते समय रोपाई का खर्च बचता है। क्योंकि मजदूर नहीं लगाने पड़ते हैं, श्रम की भी बचत होती है, पानी कम लगता है, क्योंकि धान की रोपाई अगर सामान्य विधि से करते हैं तो 4 से 5 सेंटीमीटर पानी के गहराई बनानी पड़ती है। इसमें पानी बच जाता है, चलिए आपको धान की सीधी रोपाई यानी कि डीएसआर तकनीक के दो प्रकार बताते हैं।
- धान की सीधी बुवाई करने में सूखी डीएसआर विधि भी आती है। जिसमें बीजों को जीरो टिलेज या पारंपरिक जुताई के बाद बिना पके, मिट्टी पर सूखे बीजों को छिड़क दिया जाता है। जिससे धान की खेती सीधे हो जाती है।
- इसके अलावा गीला-डीएसआर विधि अच्छी मानी जाती है। इसमें अंकुरित बीजों को पोखर वाली जमीन में बोया जाता है। इस विधि को विधिया और एरोबिक या एरोबिक कहते हैं। गीला डीएसआर (Direct Seeded Rice) विधि में, धान के बीजों को सीधे गीली मिट्टी में बोया जाता है, बिना नर्सरी तैयार किए या पौधों को रोपे, जिससे इसे कम खर्चे वाली विधि मानते है।
धान की सीधी बुवाई मैनुअल और मशीनीकृत दो तरीको से करते है। धान की सीधी बुवाई के लिए कई तरह की मशीने आती है। जैसे कि डीएसआर मशीन, राइस ट्रांसप्लांटर, जीरो सीड ड्रिल मशीन, लेजर लैंड लेवलर और पूसा पूर्व अंकुरित धान सीडर मशीन आदि।