Cow farming: गाय का गोबर बना सोना, एक साल में 25 लाख रु कमाई, सरकारी नौकरी छोड़ गाँव में कर रहे जैविक खेती।
सरकारी नौकरी छोड़ गाँव में कर रहे जैविक खेती
नमस्कार किसान भाइयों आज हम आपके लिए एक ऐसे व्यक्ति की सफलता की कहानी लेकर आए हैं जो कि पहले तो एक इंजीनियर थे। दिल्ली में सरकारी इंजीनियर के पद पर थे। उनका नाम कमल वीणा है और आज गाय पालन और जैविक खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। सरकारी नौकरी से ज्यादा इन्हें फायदा हो रहा है। यह पर्यावरण पर भी काम कर रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि यह गाय पालन करके कैसे 25 लाख हर साल कमा रहे हैं। इसके अलावा किन फसलों की खेती करते हैं।
गाय के गोबर से ये चीजे बनाते है
कमल मीणा जी बताते हैं की गाय पालन में उन्हें बहुत ज्यादा फायदा है। गाय पालन करने से खेती में भी मदद मिलती है। खर्चा खेती में कम आता है। गाय के गोबर से कई प्रकार के उत्पाद बनते हैं। जैसे की दीपक, हवन सामग्री, मूर्तियां, गमले, धूपबत्ती, बायोगैस जिससे एलपीजी गैस का खर्चा भी बचता है। इसके अलावा खेत के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद भी बनाते हैं।
गाय के मूत्र से भी कई चीजे बनती है जैसे की कीटनाशक और जमीन की बीमारी दूर होती है। पर्यावरण को भी गाय पालन से फायदा है। इनके पास 20 से 22 गाय हैं। जिनसे यह कहते हैं कि 25 बीघा की जमीन में यह इन गायों की मदद से खेती कर लेते हैं। साथ ही गिर गाय का घी बेंचते है जिसकी कीमत 2500 किलो है। इस तरह लाखो में इन उत्पादों से कमाई होती है।
इसके अलावा इन्होंने सरकार की मदद से तालाब भी बनवाया है। जिससे पानी की कमी नहीं होती। आपको बता दे की है कई अनाजों की खेती करते हैं। जिसमें यह गेहूं की देसी वैरायटी लगाते हैं चलिए इसके बारे में भी जानते हैं।
सब्जी, अनाज, मसाले सब लगाते है
अब किसान गेहूं की खेती करने जा रहे हैं तो ऐसे किसानों के लिए यहां पर हम जानकारी लेकर आए हैं कि कमल मीणा जी गेहूं की कौन सी वैरायटी की खेती करते हैं। जिससे उन्हें ₹5000 प्रति क्विंटल मिलता है। जिसमें हजारों साल पुरानी देसी वैरायटी लगाते हैं। यहां पर उन्होंने नाम भी बताया है तो बता दे की सोना मोती, शरबती, काला गेहूं, बंसी, सी 306 लगाते हैं। इसके अलावा चार पांच प्रकार के मोटे अनाजों की खेती भी करते हैं और हल्दी, धनिया, पालक आदि की मल्टी लेयर फार्मिंग भी करते हैं। यह पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं। जिसमें किसी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है।