नवंबर में किसान अगर गेहूं नहीं बल्कि दूसरी फसल लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो चलिए जुगनू की खेती की जानकारी देते हैं-
जुगनू तुरई की खेती में फायदा
जुगनू तुरई की खेती में फायदा यह है इससे बंपर उत्पादन कम समय में किसान ले सकते हैं। खर्चा भी कम आता है, 40 दिन में तैयार होने वाली है यह वैरायटी किसानों को प्रति बीघा 60 क्विंटल तक उत्पादन देती है, और इसमें खर्च भी कम आता है। जुगनू तुरई एक विशेष वैरायटी है, जिसका स्वाद भी अच्छा होता है, साथ ही उत्पादन भी ज्यादा मिलता है, यह समान तुरई से ज्यादा अधिक चमकदार होती है। जिससे ग्राहक इसकी खरीदी आसानी से कर लेते हैं। जुगनू तुरई की डिमांड बड़ी-बड़ी मंडियों में भी रहती है चलिए जानते हैं इसकी खेती कैसे करें।
जुगनू तुरई की खेती कैसे करें किसान
जुगनू तुरई की खेती करने के लिए किसान पहले खेत की तैयारी करें, दो बार जुताई करें, पाटा चलाएं, जमीन को समतल बनाएं, मिट्टी बढ़िया भुरभुरी हो तभी बुवाई करें, जिसमें मेड बनाकर आप पौधों की रोपाई कर सकते हैं। अगर बीज के द्वारा नर्सरी तैयार करते हैं तो एक बीघा के लिए दो से तीन बीज के पैकेट लग सकते हैं। जिसमें मेड बनाकर पौधों की रोपाई कर सकते हैं। इसमें सिंचाई भी कम लगता है।
सर्दियों में वैसे भी पानी की जरूरत कम पड़ती है। लेकिन जब पाला पड़ता है उस समय हल्की सिंचाई सुबह के समय मोटर पंप से कर सकते हैं और सामान्य तौर पर इसमें 10 से 12 दिन के बीच में हल्की सिंचाई की जाती है। लेकिन निराई गुड़ाई समय पर करें खरपतवार निकालते रहे। अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत तैयारी करते समय सड़ी हुई पुरानी गोबर के खाद मिट्टी में मिलाएं।आईए जानते हैं इसका भाव कितने रुपए किलो तक मिलता है। इससे किसानों को कितना मुनाफा होता है।

जुगनू तुरई की खेती में खर्च और कमाई
जुगनू तुरई की खेती में किसानों को अच्छी आमदनी हो सकती है, जो छोटे किसान है उनके लिए तो यह फायदे का सौदा है। बताया जाता है कि इसका भाव अच्छी बड़ी मंडियों में ₹100 किलो तक चला जाता है। भाव इसका कम भी होता है तो भी ₹20, ₹40, 50 और ₹70 किलो तक यह चली जाती है। उत्पादन ज्यादा होने से कीमत अगर ₹20 भी किसानों को मिलती है तो भी इससे अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। किसान अगर प्रति बीघा दो महीने में ही 60 क्विंटल उत्पादन ले सकते है और 20 रुपए का भाव ले पाते हैं तो इस हिसाब से 120000 रुपए की आमदनी हो जाती है।
वही खर्चा किसान पर निर्भर करता है कि वह किस तरीके से खेती कर रहे, कितनी खाद-पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके पास खेती के लिए कितने साधन है, अगर खेत तैयारी के लिए कृषि यंत्र है सिंचाई आदि की सुविधा है, तो उस पर बीज का खर्चा आता है। तो इसमें किसान को सिर्फ चार-पांच हजार रुपए प्रति बीघा लागत आती है।

नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको ‘काम की खबर’ दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद












