किसानों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं, MSP में हुआ 420 रु का इजाफा, जानिये अब कोपरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना हुआ

केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी अच्छी खबर दी है। अब कोपरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया गया है। जिसमें सीधे 420 रु की बढोत्तरी हुई है। चलिए जानते है अब किसानों को कोपरा की MSP कितनी मिलेगी।

किसानों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं

किसानों को खेती में मुनाफा हो, उन्हें अनाज की अच्छी कीमत मिले इसके लिए पूरे प्रयास सरकार करती है। जिसमें कोपरा (नारियल) के किसानों को अच्छा फायदा होगा। क्योकि इसमें लागत जितनी आती है और उसकी डिमांड जितनी है उसके अनुसार उन्हें पैसे दिए जाएंगे। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के द्वारा 2025 मौसम के लिए कोपरा (नारियल) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ा दिया गया है। जिससे किसानों को बढ़िया कीमत मिलेगी।

जिसके लिए 2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि सभी अनिवार्य फसलों की MSP अखिल भारतीय भारित उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना स्तर पर तय होगी। जिसमें 2024 सीज़न के लिए मिलिंग खोपरा की उचित औसत गुणवत्ता के लिए एमएसपी 11,582 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 12,100 रुप क्विंटल तय हुई।

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MSP में हुआ 420 रु का इजाफा

इस तरह अब कोपरा के किसानों को अच्छी कीमत मिल रही है। साल 2025 के मौसम में मिलिंग कोपरा की एमएसपी 420 रु बढ़ी है, वहीं बॉल कोपरा 100 रु क्विंटल से बढ़ी है। पहले की कीमत की बात करें तो सरकार ने मिलिंग खोपरा और बॉल कोपरा की एमएसपी को 2014-15 में 5,250 रु क्विंटल और 5,500 रु क्विंटल थी जबकि 2025 में 11,582 रु क्विंटल और 12,100 रु क्विंटल हो गई। यह कीमत 121 प्रतिशत और 120 प्रतिशत से बढ़ी है। जिससे किसानों को अब लागत निकालने के बाद भी अच्छा फायदा होगा।

MSP बढ़ने के फायदे

नारियल के सुखी गिरी को कोपरा कहा जाता है। इसकी एमएसपी बढ़ाने से किसानों को फायदा है। नारियल की डिमांड हमेशा रहती है। इसकी कीमत बढ़ती ही जा रही है। जिससे अगर एमएसपी सही नहीं मिलती तो किसानों को इसमें फायदा नहीं होता। नारियल की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कोपरा की एमएसपी को बढ़ा दिया है।

पूजा पाठ में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। नारियल के तेल की भी डिमांड धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। देश के साथ-साथ विदेश में भी नारियल की डिमांड है। यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है। इसकी एमएसपी बढ़ाने के पीछे सरकार का उद्देश्य इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है और किसानों को इसकी बढ़िया लागत भी मिल जाए। इसलिए एमएसपी बढ़ाई गई है।

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