गेहूं की फसल से 85 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए इन 5 शर्तों को करें पूरा, जानें गेहूं की खेती का प्लान

On: Monday, October 13, 2025 9:00 AM
गेहूं की बुवाई का समय

गेहूं की खेती से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। तो चलिए, यहां जानते हैं कि कृषि विशेषज्ञ क्या कहते हैं गेहूं की खेती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

गेहूं की बुवाई का समय

सबसे पहले किसानों को गेहूं की बुवाई के समय पर ध्यान देना चाहिए। सही समय पर गेहूं की खेती करनी है। वैरायटी के अनुसार बुवाई का समय ध्यान में रखें, जिसमें अगेती बुवाई करने वाले किसान 25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक गेहूं की खेती कर सकते हैं। यह एक अच्छा समय माना जाता है।

फसल चक्र

गेहूं के किसानों को एक और बात का ध्यान रखना चाहिए फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाना चाहिए। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि क्रॉप रोटेशन अपनाने से किसानों को पहले से अधिक उत्पादन मिल सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक साल खेत में गेहूं लगाया गया है, तो दूसरे साल उसमें कोई दूसरी फसल लगानी चाहिए। इस तरह से फसलें बदल-बदल कर लगाने से मिट्टी को पोषण मिलता है और फसल का उत्पादन बेहतर होता है।

गेहूं की फसल के लिए बेसल डोज

गेहूं की बुवाई से पहले किसानों को बेसल डोज / खाद का प्रारंभिक प्रबंध का भी ध्यान रखना चाहिए। फसल की ज़रूरत के अनुसार खाद देनी चाहिए, और संतुलित मात्रा में डालनी चाहिए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं के बेसल डोज़ के लिए डीएपी, जिंक सल्फेट, पोटाश जैसे खादों का इस्तेमाल करना चाहिए। एक अच्छा उत्पादन लेने के लिए फॉस्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन को सही अनुपात में खेत में डालना ज़रूरी है।

बेस्ट वैरायटी का चयन

किसानों को ऐसी गेहूं की वैरायटी लगानी चाहिए जो अधिक उत्पादन दे सके। अगर खेती बिक्री के उद्देश्य से की जा रही है, तो गेहूं की हाई यील्ड वैरायटी / उच्च उत्पादन देने वाली किस्म का चयन करना चाहिए। वैरायटी का चयन अपने क्षेत्र के अनुसार करें। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार श्री राम 303, डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327) और डब्ल्यूएच 1270 (WH 1270) किस्में बढ़िया मानी जाती हैं। श्रीराम 303 वैरायटी प्रति हेक्टेयर 81 से 85 क्विंटल तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। फिर भी किसानों को अपने स्थानीय कृषि केंद्र से जानकारी लेकर वैरायटी का चयन करना चाहिए।

पहली सिंचाई के साथ खाद

सिंचाई का काम भी सही समय पर और जरूरत के अनुसार होना ज़रूरी है। जब पहली सिंचाई करें, तो उसके साथ ही खाद भी दें। इससे फसल को पोषण मिलेगा और उसका विकास तेजी से होगा। सही समय पर सिंचाई करने से उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ता है।

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