20 बॉक्स से हुई शुरुआत, आज पहुंची 250 बॉक्स तक, बिहार के किसान लक्ष्मी प्रसाद की मधुमक्खी पालन से 9 लाख का टर्नओवर 

On: Friday, November 14, 2025 2:41 PM
success story

आज हम बात करेंगे बिहार के किसान लक्ष्मी प्रसाद जी की,जो मधुमक्खी पालन से साल का 9 लाख रुपय कमा रहे हैं। 

मधुमक्खी पालन की शुरुआती संघर्ष क्या रही

लक्ष्मी प्रसाद बिहार के फतुहा जिले के रहने वाले हैं । उन्होंने मधुमक्खी पालन की शुरुआती 20 बॉक्स से शुरू की थी। शुरुआती दौड़ में बहुत सारी मुश्किलें उनके सामने आई, जैसे जब पहली बार उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू किया तब अगले ही दिन तेज बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। उस बारिश में उनकी सारी मधुमखियाँ मर गई। पर उन्होंने यह ठान लिया कि अगर शुरुआत कर दी है तो जब तक इसमें सफलता नहीं मिलती तब तक लगे रहना है। 

20 बॉक्स के बर्बाद होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी  

जब उनके 20 बॉक्स बर्बाद हो गए, जिसमें उनके 50 हज़ार रुपये बर्बाद हो गए, तब भी उन्होंने हार नहीं मानते हुए फिर से 35 बॉक्स से शुरुआत की। 35 बॉक्स की शुरुआत करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे और न ही कोई सरकारी योजना जिससे उन्हें सहायता मिले, पर शुरुआत तो करनी थी, जिसके लिए उन्होंने साहूकार से पैसे कर्ज लिए।  

मधुमक्खी पालन में वैसे तो बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी एक राज्य से दूसरे राज्य तक ले जाने में आती है। और दूसरी परेशानी लक्ष्मी प्रसाद जी के साथ ये हो रही थी की कुछ कीड़ों के वजह से उनके बॉक्स के अंडे नष्ट होने लग गए थे। इस समस्या का उन्होंने में समाधान कुछ समय बाद कर लिया। मधुमक्खियों की देखभाल जैसे चीनी,मोम,बॉक्स पर लगातार 8 महीने तक खर्च करने पड़ते हैं, जिसके बाद दिसंबर से मार्च तक आमदनी होती रहती है। 

250 बॉक्स से अभी 9 लाख का टर्नओवर  

लक्ष्मी प्रसाद जी का मधुमक्खी पालन का सफर 20 बॉक्स से शुरू हुआ था, जो कि अब 250 बॉक्स हो गया है। उनके 250 बॉक्स से उन्हें 700 लीटर तक की शहद 10 दिन के अंतराल पर तैयार हो जाता है। बहुत सालों से मधु का भाव चेंज नहीं हुआ है, पहले के भाव से ही अभी भी मधु बिक रही है। अगर भाव में परिवर्तन आए तो आमदनी में काफी बढ़ोतरी आएगी।

लक्ष्मी प्रसाद जी की आमदनी पूरे सीजन में 9 लाख रुपये तक हो जाती है, जिससे उन्हें मुनाफा 6 लाख रुपए तक हो जाता है। उनका कहना है कि सरकार मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों पर ध्यान दे तो युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खुलेंगे और उसमें आत्मनिर्भरता आएगी, जो कि उनके जिले के लिए भी एक बहुत ठोस कदम साबित होगी। 

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