धान की खेती में उच्च पैदावार के लिए बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना बहुत महत्वपूर्ण काम होता है तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते है बीजों का उपचार करने का तरीका।
धान की पैदावार में होगी बेशुमार वृद्धि
धान की खेती बहुत लाभकारी होती है धान की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय मानसून के शुरुआत में जून से जुलाई के बीच माना जाता है कुछ किसानों ने धान की बुवाई की शुरुआत कर दी है। धान की बुवाई से पहले बीजों का उपचार जरूर करना चाहिए जिससे धान की फसल में कीट रोग लगाने का खतरा कम हो जाता है और धान की पैदावार बहुत जबरदस्त होती है अधिकतर किसान बीज उपचार के लिए केमिकल कीटनाशक दवा का उपयोग बहुत करते है केमिकल वाली दवा सेहत के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक साबित होती है इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों से बने जैविक घोल के बारे में बता रहे है जो बीजों को उपचार करने के लिए बहुत लाभकारी साबित होते है तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते है।

धान के बीजों का करें इस चीज से उपचार
धान के बीजों को उपचारित करने के लिए हम आपको गाय के गोबर, गोमूत्र, नीम के तेल और चूना से बने घोल के बारे में बता रहे है गाय के गोबर में कई तत्वों के गुण होते है जो पैदावार को बढ़ाने के लिए बहुत लाभकारी साबित होते है गोमूत्र बीजों के अंकुरण में सुधार करता है, जिससे स्वस्थ पौधे उगते है। गोमूत्र पौधों को विभिन्न प्रकार के रोगजनकों जैसे झोंका रोग, पत्ती का झुलसा रोग, शीथ ब्लाइट, खैरा रोग और कीटों से बचाने में मदद करता है नीम का तेल पौधों के लिए एक प्राकृतिक कीटनाशक और फफूंदनाशक होता है नीम के तेल में एंटीफंगल, और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है जो पौधे को कीटों और बीमारियों से बचाने में मदद करते है। साथ ही ये मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते है। चूना में कैल्शियम और मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा होती है जो धान के पौधों के लिए लाभकारी साबित होते है इन चरों चीजों से बने घोल में धान के बीजों का उपचार जरूर करना चाहिए।
कैसे करें उपयोग
धान के बीजों को उपचारित करने के गाय के गोबर, गोमूत्र, नीम के तेल और चूना से बने घोल का उपयोग बहुत ज्यादा उपयोगी और लाभकारी साबित होता है इनका उपयोग करने के लिए 20 किलोग्राम धान के बीज को उपचारित करने के लिए 10 लीटर पानी में 1 किलो गोबर, 2 लीटर गोमूत्र 200 ग्राम चूना और नीम के तेल को मिलाकर बीजों को रात भर के लिए इस घोल में डाल देना है फिर सुबह बीजों को निकाल कर धूप में सूखा लेना है फिर इन बीजों की बुवाई करनी है ऐसा करने से फसल में कीट रोग नहीं लगेंगे और उत्पादन जबरदत्स होगा।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।