गेहूं का तगड़ा उत्पादन के लिए किसान बुवाई के समय डालें यह खाद, और इन खादों से बचें, जानिए गेहूं के लिए बेसल डोज

On: Monday, October 20, 2025 9:00 AM
गेहूं की बुवाई करते समय कौन सी खाद डालें

गेहूं की फसल से ज़्यादा उत्पादन लेने के लिए बेसल डोज में सही खाद डालना ज़रूरी होता है, और कुछ खाद से बचना भी पड़ता है। तो चलिए इन दोनों के बारे में जानते हैं।

गेहूं की फसल में बेसल डोज की भूमिका

गेहूं या कोई भी फसल हो उन्हें पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है, जिसमें फसल की बुवाई से पहले ही खेत की तैयारी करते समय खाद मिलाया जाता है, जिससे मिट्टी उपजाऊ होती है और फसल बढ़िया से विकसित होती है। गेहूं की बुवाई करते समय भी बेसल डोज में कुछ खाद डाली जाती है, जिससे गेहूं की फसल अच्छी होती है। बीजों का अंकुरण बढ़िया से होता है और फसल को मजबूती मिलती है, या ये कहें कि इसका उद्देश्य स्वस्थ विकास की नींव रखना होता है, जिससे पौधों को प्रारंभिक चरण में पोषण मिलता है। जड़ों के विकास में यह सहायक है। दानों में चमक आती है, और पैदावार अच्छी होती है।

जिसमें गेहूं की बुवाई करते समय बेसल डोज में, अन्य फसलों की तरह, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की ज़रूरत होती है। तो आइए जानते हैं अब कौन-कौन सी खाद गेहूं की बुवाई के समय बेसल डोज में देनी है।

गेहूं की बुवाई करते समय कौन सी खाद डालें

गेहूं की फसल से ज़्यादा उत्पादन लेने के लिए किसानों को बुवाई के समय डीएपी खाद डालनी चाहिए। अगर डीएपी नहीं मिल रही है, तो इसकी जगह पर टीएसपी या एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इन दोनों के साथ में 20 से 25 किलो यूरिया भी डालनी चाहिए। आपको बता दें कि इन तीनों में से कोई एक खाद आपको इस्तेमाल करनी है। वहीं इनके साथ में म्यूरिएट ऑफ पोटाश (MOP) 25 से 35 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं। पोटाश बहुत ज़्यादा ज़रूरी होता है, इससे फसल अच्छी होती है।

गेहूं की बुवाई के समय कौन सी खाद नहीं डालनी चाहिए

अब कुछ लोगों का सवाल है कि अभी हम कौन सी खाद नहीं डालें। क्योंकि बहुत सारे नए किसान होते हैं जो कि ज़्यादा उत्पादन लेने के चक्कर में कई तरह की खाद का इस्तेमाल कर देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना है।

वो किसान जो डीएपी, टीएसपी या एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उन्हें इसके साथ में जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट या मैग्नीशियम सल्फेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसका इस्तेमाल किसान उस समय कर सकते हैं जब वो पहली सिंचाई करते हैं। तो पहली सिंचाई के समय यूरिया के साथ में जिंक या फेरस या मैग्नीशियम सल्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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