गेहूं की पछेती फसल में बंपर उत्पादन के लिए बेहतर देखभाल करना बेहद जरूरी होता है ये उर्वरक गेहूं की पछेती फसल के उत्पादन को कई गुना मात्रा में बढ़ाता है तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते है कौन सा उर्वरक है।
गेहूं के बंपर उत्पादन से भर जाएंगे भंडार
गेहूं की देरी से बुआई करने वाले किसानों ने गेहूं की पछेती किस्म की बुआई 25 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच की थी अब गेहूं की पछेती फसल में किसान इन दिनों पहली सिंचाई कर रहे है सिंचाई के अलावा उर्वरक देने के लिए भी ये समय सबसे उपयुक्त होता है। क्योंकि ये समय में गेहूं के पौधे सबसे ज्यादा कल्ले करते है ज्यादा कल्ले होने की स्थिति में बालियों की संख्या ज्यादा होती है आज हम आपको गेहूं की पछेती फसल में डालने के लिए एक ऐसे उर्वरक के बारे में बता रहे है जो बहुत गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने में बहुत लाभकारी साबित होता है तो चलिए जानते है कौन सा उर्वरक है।
गेहूं की पछेती फसल में डालें ये उर्वरक
गेहूं की पछेती फसल में पहली सिंचाई के बाद डालने के लिए हम आपको सागरिका उर्वरक के बारे में बता रहे है सागरिका एक जैविक उर्वरक है ये समुद्री शैवाल से मिलने वाला एक अर्क है इसमें कई तरह के पोषक तत्व और विटामिन होते है जो गेहूं के कल्ले बढ़ाते है और बालियों की संख्या भी ज्यादा करते है ये उर्वरक न केवल गेहूं की बालियों की संख्या बढ़ाता है बल्कि उसके अंदर के दाने को भी जबरदस्त मोटा तगड़ा करता है। जिससे गेहूं की पैदावार बहुत ज्यादा शानदार देखने को मिलती है। सागरिका उर्वरक का इस्तेमाल गेहूं की फसल में जरूर करना चाहिए।
कैसे करें उपयोग
गेहूं की पछेती फसल में पहली सिंचाई के बाद सागरिका उर्वरक का उपयोग गेहूं की बाली की संख्या बढ़ाने और दानों को मोटा करने के लिए बहुत फायदेमंद और असरदार साबित होता है गेहूं की पछेती फसल में पहली सिंचाई 21 से 23 दिन में कर देनी चाहिए। सिंचाई के 5 से 6 दिन बाद जब खेत में नमी हो और पैर टिकने लगे तो एक एकड़ गेहूं की फसल में 40 से 50 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव भी कर देना चाहिए। इसके बाद गेहूं की फसल में सागरिका का उपयोग फसल के 35 से 40 दिनों के बीच करना सबसे अच्छा रहता है सागरिका का उपयोग करने के लिए 250-300 मिलीलीटर सागरिका को 100-120 लीटर पानी में घोलकर गेहूं की पछेती फसल में स्प्रे करना चाहिए ऐसा करने से गेहूं की बाली लंबी होने के साथ दाने मोटे और चमकदार बनते है जिससे उत्पादन बहुत जबरदस्त होता है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।