Agriculture Tips: कपास की पैदावार घटा देंगे यह खरपतवार, जानिए किन खरपतवार नाशक का करें छिड़काव जिससे कीट-रोग से बचे फसल

कपास में खरपतवार का प्रकोप इस समय बढ़ रहा है तो चलिए जानते हैं कौन-कौन से खरपतवार पर किस दवा का छिड़काव कर सकते हैं-

कपास में खरपतवार से नुकसान

कपास की खेती में किसान अच्छी कमाई कर लेते हैं। यह एक लाभदायक व्यवसाय है। इसमें कई लोगों को रोजगार भी मिलता है। पर्यावरण को भी फायदा है। कपास के बीज से तेल और खली भी प्राप्त होती है। लेकिन किसानों को कपास के खेत में खरपतवार की समस्या आ रही है। जिससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। जैसे की उपज में कमी हो सकती है। यह खरपतवार का मुख्य फसल के पोषक तत्व की चोरी कर लेते हैं।

साथ ही कीट – रोग की समस्या भी बढ़ जाती है। उससे सीधा-सीधा किसान को नुकसान हो सकता है तो चलिए जानते हैं इन खरपतवारों के नाम और इसके उपाय।

खरपतवार और खरपतवार नाशक

कपास की फसल में चौड़ी पत्ती, सकरी पत्ती जैसे खरपतवार देखने को मिल सकते हैं। जिनके लिए कई तरह के खरपतवार नाशक बाजार में उपलब्ध है। चलिए नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार कुछ खरपतवार नाशक के बारे में जानते हैं। जिनसे अच्छा रिजल्ट देखने को मिल सकता है-

  • कपास में Hitweed या Dozo Kevat या Nanchaku खरपतवार नाशक का छिड़काव कर सकते है। जिसमें 25-30 ml/ पंप या 250-300 ml प्रति एकड़ छिड़क सकते है। हिटवीड, डोज़ो (केवट), और ननचाकू आदि ये सभी कपास की फसल में खरपतवारों को रोकने के लिए शाकनाशी (herbicides) हैं। इनका इस्तेमाल चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को के लिए किया जाता है। यह कुछ संकरी पत्ती वाले खरपतवारों पर भी प्रभावी होते है।
  • संकरी पत्ती वाले घास के लिए किसान कपास में Whipsuper डाल सकते है। यह 300 ml प्रति एकड़ छिड़क सकते है।

यह भी पढ़े- Poultry farming: मुर्गी पालन के लिए फ्री बिजली और 70 लाख का लोन, 7% ब्याज मुफ्त, जानिए क्या है कुक्कुट विकास नीति

  • इसके आलावा घासा (Ghasa) भी एक खरपतवारनाशक (herbicide) है। जिसका इस्तेमाल कपास की फसलों में खरपतवारों को नियंत्रित करने में करते है। यह चयनात्मक शाकनाशी है, जो कि चुनिंदा रूप से कुछ पौधों को मारता है, जिससे कपास की फसल को नुकसान नहीं होता है। यह भी एक अच्छा विकल्प है।

किसान जब यह खरपतवार छिड़कते हैं उस समय हल्की नमी बनाकर रखें। खरपतवार नाशक का छिड़काव अगर खरपतवार दो से तीन पत्ती के होते हैं यानी कि शुरुआती अवस्था में होते हैं तब छिड़काव किया जाता है तो उनका सफाई जल्दी होती है। तुरंत असर भी दिखता है। अगर खरपतवार बड़ी हो जाती है तो फिर दवा का असर भी कम होता है।

यह भी पढ़े- Profitable farming: जुलाई में ये फसल लगाएं, आधा एकड़ से 15 लाख रु सालाना कमाएं, लाल सोने की खेती से चमकेगी किस्मत

नमस्ते, मैं निकिता सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रही हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी तरो ताजा खबरें बताउंगी। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद 

Leave a Comment