चने की खेती बेहद लाभकारी होती है इस मौसम में चने की फसल का खास ध्यान रखना चाहिए क्योकि फसल में कई खतरनाक रोग होने का काफी खतरा होता है और चने में झुलसा रोग होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते है की चने की फसल को कैसे इस रोग से बचाया जा सकता है।
चने की फसल को ये रोग कर देगा बर्बाद
चने की खेती किसानों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होती है चने की खेती करने वाले लगभग सभी किसान इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच में कर चुके है इसकी खेती में किसानों को सावधान रहना चाहिए क्योंकि बुआई के बाद चने की फसल के शुरुआती अवस्था में दो खतरनाक बीमारियों का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है जो पूरी फसल को नष्ट कर देती है। चने की फसल में सड़न और झुलसा नामक रोगों का प्रकोप ज्यादा होने की संभाना रहती है। इन दोनों रोगों का सही समय पर इलाज करना बहुत जरुरी होता है। जिससे फसल बर्बाद होने से बच जाती है।

समय पर करें ये बेहद कारगर उपाय
चने की फसल को सड़न और झुलसा नामक रोगों से बचाव के लिए 50% फूल आने पर एनपीवी 250 एलई एक मिलीलीटर दवा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल में छिडक़ाव करना चाहिए और अगर लक्षण फसल में पूरी तरह दिखाई दें तो फिर मेटालेक्जिल और मैनकोज़ेब नामक दवाई से जमीन में या ड्रिंकिंग करके छिड़काव करना चाहिए। चने की फसल में ये रोगों के लक्षण दिखते ही समय पर इस दवा का उपाय करने से फसल नष्ट होने से बच जाती है और उत्पादन भी जबरदस्त होता है।
चने की खेती
चने की खेती के लिए जल निकास वाली दोमट या भारी दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा अच्छी होती है। अच्छे उत्पादन के लिए मिट्टी का PH मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। इसकी बुवाई के लिए अच्छे किस्म के बीजों का चुनाव करना चाहिए। चने की खेती के लिए बीजोपचार ज़रूरी होता है जिससे रोग लगने का खतरा भी कम हो जाता है इसकी खेती में गोबर की खाद का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। बुवाई के बाद इसकी फसल करीब 135-140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।