गेहूं की खेती में बंपर उत्पादन के लिए ये चीज बहुत ज्यादा लाभकारी साबित होती है। इसका इस्तेमाल गेहूं की फसल में जरूर करना चाहिए जिससे दाने मोटे और चमकदार होते है तो चलिए जानते है कौन सी चीज है।
गेहूं की फसल की ऐसे करें देखभाल
गेहूं की खेती बहुत लाभकारी होती है इसकी खेती में अच्छा जबरदस्त उत्पादन पाने के लिए आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बता रह है जो गेहूं की फसल के लिए बहुत असरदार और फायदेमंद साबित होती है। गेहूं की खेती में अच्छी खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल उसकी गुणवत्ता और पैदावार को बढ़ाने में मददगार होते है। ये चीज गेहूं की फसल में बालियों को अच्छी तरह से विकसित करती है। हम बात कर रहे है पोटाश की अन्य पोषक तत्वों की तरह पोटाश भी गेहूं की फसल के लिए एक बहुत ही आवश्यक पोषक तत्व है जिसका उपयुक्त समय पर और सही मात्रा में इस्तेमाल करने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि होती है। कुछ क्षेत्रों में गेहूं की बालियां निकलना शुरू हो गई हैं। इसलिए गेहूं की फसल में पोटाश देने का ये सही समय है जिससे बालियां अच्छी तरह से विकसित हो और दाना मोटा और चमकदार बने। तो चलिए जानते है गेहूं की फसल में पोटाश को डालने की सही मात्रा क्या होती है।
कैसे करें उपयोग
गेहूं की फसल में पोटाश का उपयोग बहुत लाभकारी और असरदार साबित होता है इसका उपयोग करने के लिए गेहूं की एक एकड़ फ़सल में पोटाश की मात्रा करीब 25 किलोग्राम होनी चाहिए। आपको बता दें बुआई के समय 5 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ डालना चाहिए और जब बालियां बनने लगें और कल्ले निकलने लगे तब बची हुई पोटाश की मात्रा का उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने से गेहूं का खेत मोटी बालियों से भर जाएगा और उत्पादन बहुत जबरदस्त होता है।
गेहूं की खेती में पोटाश का महत्व
गेहूं की खेती में पोटाश का बहुत ज्यादा महत्व होता है आपको बता दें पोटाश से गेहूं के दानों में चमक आती है और उनका आकार भी बढ़ता है। पोटाश से गेहूं के पौधों में रोगों और कीट से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और पौधों की कोशिकाएं मज़बूत होती है। गेहूं की फसल में पोटाश की कमी होने पर गेहूं की बालियां छोटी और पतली होती है और दाना भी कमज़ोर होता है इसलिए गेहूं की फसल में पोटाश का बहुत अहम महत्व होता है। इसका इस्तेमाल गेहूं की खेती में जरूर करना चाहिए।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।