ये घोल मेथा की फसल में लगने वाले रोगों से छुटकारा दिलाने के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है इसमें कई तत्व के गुण बहुत ज्यादा मात्रा में होते है जो पौधे को कीट रोग से बचाव करते है।
तपती गर्मी से मेथा की फसल में कीट का प्रकोप
मेथा की खेती बहुत ज्यादा लाभकारी मानी जाती है और अधिकतर प्रगतिशील किसान गेहूं-धान की खेती के अलावा इस फसल की खेती करना भी पसंद करते है गर्मियों में मेथा की खेती में कई कीट रोग का प्रकोप रहता है जिससे फसल के बंपर उत्पादन में गिरावट हो सकती है कीट रोग के रोखथाम के उपाय समय रहते कर लेना चाहिए जिससे पैदावार में कोई खराब असर नहीं पड़ता है आज हम आपको एक ऐसे कीटनाशक के बारे में बता रहे है जो मेथा की फसल में कीटों को खत्म करने के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है तो चलिए जानते है कौन सा घोल है।

छिड़क दें ये घोल
मेंथा की फसल में कई तरह के कीट लगने की संभावना रहती है जिनमें मुख्य रूप से बालदार सुंडी, दीमक, पत्ती लपेटक कीट, माहू और पत्ती धब्बा रोग शामिल है इन कीटों से फसल को बहुत नुकसान होता है ये कीट मेंथा की पत्तियों के हरे पदार्थ को खा कर पत्तियों को खोखला छेद कर देते है और जड़ को गला देते है। जिससे पौधे की पत्तियां कमजोर हो कर सूखने लगती है इसलिए इनके नियंत्रण के लिए हम आपको डाईक्लोरोवास दवा के घोल के बारे में बता रहे है ये एक कीटनाशक है इसका इस्तेमाल मेंथा की फसल में लगे कीटों को जड़ से खत्म कर देता है।
कैसे करें उपयोग
मेंथा की फसल में डाईक्लोरोवास दवा का उपयोग कीट रोग को खत्म करने के लिए बहुत लाभकारी और प्रभावी साबित होता है इसका उपयोग करने के लिए 500 एमएल दवा को 700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते है ऐसा करने से मेथा की फसल में लगे सभी रोग कीट खत्म हो जायेंगे और तेल का उत्पादन बहुत जबरदस्त होगा।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।