कटाई के बाद ऐसे करें गेहूं की फसल का रखरखाव, वरना फफूंदी, कीड़े और खराबी की समस्या हो सकती है उत्पन्न

कटाई के बाद ऐसे करें गेहूं की फसल का रखरखाव, वरना फफूंदी, कीड़े और खराबी की समस्या हो सकती है उत्पन्न। गेहूं की कटाई के बाद उसके दानों को अच्छी गुणवत्ता और भंडारण योग्य बनाने के लिए उसे धूप में सुखाना बहुत आवश्यक होता है। यदि गेहूं को सही तरीके से और सही समय तक धूप नहीं दी जाए तो उसमें नमी बनी रहती है, जिससे भंडारण के दौरान फफूंदी, कीड़े और खराबी की समस्या आ सकती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है।

गेहूं को कटाई के बाद धूप देने का तरीका और अवधि

कटाई के तुरंत बाद

गेहूं की कटाई के बाद पहले उसे 2-3 दिन खेत में खुली धूप में फसल समेत छोड़ देते हैं ताकि उसमें से प्राकृतिक रूप से नमी निकल जाए।

मड़ाई के बाद

जब मड़ाई हो जाती है और गेहूं के दाने भूसे से अलग कर लिए जाते हैं, तब दानों में लगभग 18% से 20% तक नमी रहती है। इतनी नमी पर गेहूं को तुरंत भंडारण करना सुरक्षित नहीं होता।

धूप में सुखाने की अवधि

मड़ाई के बाद गेहूं के दानों को खुली धूप में फैलाकर 4 से 7 दिन तक सुखाना चाहिए। यह अवधि मौसम पर निर्भर करती है। यदि तेज धूप और गर्मी है तो 4-5 दिन में ही दाने सूख सकते हैं। अगर मौसम में बादल या नमी है तो 6-7 दिन लग सकते हैं।

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सुखाने का तरीका

गेहूं के दानों को पतली परत में साफ जगह या टारपोलिन/प्लास्टिक सीट पर फैलाएं। रोजाना 3-4 बार दानों को उलट-पलट (पलटाई) करें ताकि सभी दाने समान रूप से सूखें। रात में ओस या नमी से बचाने के लिए दानों को ढँक दें या अंदर रख लें।

नमी की उचित मात्रा

जब दानों में 12% से 13% तक नमी रह जाए, तभी भंडारण के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। इसे नमी मापक यंत्र से भी मापा जा सकता है।

धूप में न सुखाने से होने वाले नुकसान

भंडारण में फफूंद लगना।

कीड़ों का हमला।

दानों का रंग काला या धब्बेदार होना।

वजन में कमी और गुणवत्ता में गिरावट।

गेहूं भंडारण के सही तरीके

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भंडारण से पहले तैयारी

भंडारण स्थल को अच्छे से साफ करें। पुराना अनाज, धूल, मिट्टी, भूसा या कोई भी अवशेष हटा दें। भंडारण स्थल में भंडारण से पहले क्लोरीन या किसी भी स्वीकृत कीटनाशक का छिड़काव करें ताकि कीड़े न पनपें। यदि कोई दरारें हैं तो उन्हें भर दें ताकि कीड़े-मकोड़े या नमी अंदर न आ सके।

भंडारण के बर्तन/स्थान का चयन

मिट्टी की कोठी, प्लास्टिक ड्रम, धातु की टंकी या अन्य मजबूत और सूखे बर्तन का उपयोग करें। यदि बड़े स्तर पर भंडारण हो तो पक्के और हवादार गोदाम का उपयोग करें। यदि बोरे में भरकर रखना है तो पीपी बैग या अच्छी गुणवत्ता वाले जूट के बोरों में भरे।

भंडारण करते समय सावधानियाँ

जैसा कि पहले बताया गया, दानों में नमी 12%-13% से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोरों या भंडारण बर्तनों के नीचे तिरपाल या लकड़ी का तख्ता रखें ताकि नमी न चढ़े।पूरी तरह सील न करें, थोड़ा वेंटिलेशन जरूरी है ताकि अंदर नमी न बन पाए। बोरों या बर्तनों को जमीन से कुछ इंच ऊपर रखें।

कीट और फफूंदी से बचाव के उपाय

गेहूं में नीम की सूखी पत्तियाँ या नीम की खली डाल सकते हैं। छोटे कपड़े में फिटकरी या सूखा नमक डालकर अनाज में रखने से भी कीड़े नहीं लगते। यदि लंबे समय तक भंडारण करना है तो बोरे में या भंडारण स्थल में इस गोली का उपयोग सावधानी से करें। ध्यान रखें कि इसका उपयोग विशेषज्ञ सलाह के अनुसार ही करें।

समय-समय पर निगरानी

हर 20-25 दिन में भंडारण स्थान की जांच करें। यदि दाने में हल्की नमी या गर्मी महसूस हो तो दानों को धूप में निकालकर फिर से सुखा ले।

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