सिर्फ 3 महीने में पूरी होगी इस सब्जी की उन्नत खेती, कम खर्चे में मुनाफा होगा तगड़ा, बंपर पैदावार के लिए जानिए बुवाई का सही तरीका।
3 महीने में पूरी होगी इस सब्जी की उन्नत खेती
इस सब्जी की खेती बहुत ज्यादा फायदे की साबित होती है इस सब्जी की खेती करने में ज्यादा लागत की जरूरत नहीं होती है। कम खर्चे में अच्छा खासा मुनाफा देखने को मिलता है। इस सब्जी की डिमांड बाजार में बहुत अधिक होती है क्योकि ये सब्जी कुछ ही महीने बाजार में मिलती है जिससे लोग इसे प्रिजर में स्टोर कर के भी रख लेते है और साल भर तक इसको इस्तेमाल में लेते है। ये सब्जी सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है और खाने में भी इसका स्वाद लाजवाब होता है जिससे लोग इसे बाजार से बहुत ज्यादा खरीदते है। आप इसकी खेती कर के बहुत शानदार मुनाफा कमा सकते है। हम बात कर रहे है हरी मटर की खेती की तो चलिए जानते है हरी मटर की खेती कैसे की जाती है।
कैसे करें खेती
अगर आप मटर की खेती करना चाहते है तो आपको इसकी खेती से सम्बंधित जानकारी होनी चाहिए जिससे जब आप हरी मटर की खेती करे तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी। हरी मटर की खेती के लिए रेतली दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है मिट्टी का PH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मटर की खेती में जल जमाव की समस्या बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए। मटर की बुवाई बीजों के माध्यम से की जाती है इसलिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख देना चाहिए फिर पानी से निकाल कर छाया में थोड़ा सूखा लेना चाहिए जिससे बीज अंकुरित हो जाते है। मटर की उन्नत खेती के लिए शुरुआत में मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए। हरी मटर की पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी सिंचाई फलियां बनने के समय करनी चाहिए। हरी मटर के पौधे बीज रोपाई के बाद 3 से 4 महीने के अंदर कटाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते है।
कितना होगा मुनाफा
अगर आप हरी मटर की खेती करते है तो आपको इसकी खेती से बहुत जबरदस्त मुनाफा होगा क्योकि हरी मटर बाजार में बहुत ज्यादा मात्रा में डिमांडिंग होती है और बहुत बिकती है। हरी मटर की औसत पैदावार 24 क्विंटल प्रति एकड़ होती है आप 1 एकड़ में हरी मटर की खेती से करीब 1 से 2 लाख रूपए तक की कमाई कर सकते है।
कितनी आएगी लागत
अगर आप हरी मटर की खेती करते है तो आपको इसकी खेती करने में 25 से 30 हजार रूपए की लागत आ सकती है क्योकि हरी मटर की खेती में बीज, सिचाई, कटाई, मजदूर की मजदूरी, खाद जैसी अनेकों चीजों का खर्चा आता है।