अमरूद की पैदावार को दोगुना बढ़ाने के लिए अपनाए यह 100% सटीक उपाय

अमरूद की पैदावार को दोगुना बढ़ाने के लिए अपनाए यह 100% सटीक उपाय। अमरूद एक लोकप्रिय और पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर आप अमरूद की पैदावार बढ़ाना चाहते हैं तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होगा। अमरूद की पैदावार बढ़ाने के प्रमुख टिप्स के बारे में विस्तार से बताते है।

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी का चयन

अमरूद की खेती के लिए गर्म और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी रहती है। अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अमरूद के लिए उपयुक्त है। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

उन्नत किस्मों का चयन

उन्नत और रोग प्रतिरोधक किस्में पैदावार बढ़ाने में मदद करती हैं। कुछ प्रसिद्ध किस्में – लखनऊ-49, इलाहाबादी सफेदा, लालिमा, हाइब्रिड सफेदा, अर्जुन, श्वेता आदि।

उचित पौध रोपण विधि

पौधों को रोपने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें और गोबर की अच्छी सड़ी खाद मिलाएं। पौधों को 5 मीटर x 5 मीटर या 6 मीटर x 6 मीटर की दूरी पर लगाएं। गड्ढे की गहराई 60x60x60 सेमी रखें और उसमें गोबर की खाद, नीमखली और थोड़ी-सी सड़ी हुई मिट्टी भरें।

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समय पर सिंचाई और जल प्रबंधन

अमरूद के पौधों को फल लगने के समय और फूल आने के समय नियमित रूप से सिंचाई करें। गर्मियों में 15-20 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में महीने में एक बार सिंचाई पर्याप्त रहती है। ड्रिप इरिगेशन तकनीक से भी पानी की बचत के साथ पैदावार बढ़ाई जा सकती है।

समुचित पोषक तत्व प्रबंधन

प्रति पौधा सालाना 15-20 किलो गोबर की खाद, 400 ग्राम नाइट्रोजन, 300 ग्राम फॉस्फोरस और 300 ग्राम पोटाश डालें। उर्वरक को दो बार डालें – पहली बार फल आने से पहले जुलाई-अगस्त में और दूसरी बार फरवरी-मार्च में। सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, बोरॉन और आयरन की कमी होने पर फोलियर स्प्रे करें।

फूल और फल गिरने से रोकथाम

फूल और फल गिरने की समस्या आम होती है। इसके लिए NAA का 20-30 ppm घोल बनाकर फूल आने के समय छिड़काव करें। बोरॉन और जिंक सल्फेट का भी स्प्रे करें।

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कटाई-छटाई

साल में एक बार जून या दिसंबर में पुराने, सूखे और रोगग्रस्त शाखाओं की छंटाई करें। इससे नए और स्वस्थ शाखाएं निकलती हैं और फूल-फल ज्यादा आते हैं।

रोग और कीट नियंत्रण

अमरूद में फल मक्खी, छाल छेदक और मिली बग जैसे कीट नुकसान पहुंचाते हैं। रोगों में एन्थ्रेक्नोज, पत्तियों का झुलसन प्रमुख हैं। कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल स्प्रे, फेरोमोन ट्रैप और जरूरत पड़ने पर अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग करें।

फूल और फल का मौसम सही करना

अमरूद में बहार मैनेजमेंट से साल में दो बार अच्छी पैदावार ली जा सकती है – जुलाई-अगस्त और फरवरी-मार्च। पानी रोककर और बाद में सिंचाई करके फूल आने की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है।

सही समय पर तुड़ाई

अमरूद को जब फल हल्के पीले रंग के होने लगें और सुगंध आने लगे, तभी तोड़ें। समय पर तुड़ाई करने से पौधा अगली फसल के लिए भी स्वस्थ रहता है।

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नमस्ते, मैं चंचल सौंधिया। मैं 2 साल से खेती-किसानी के विषय में लिख रही हूं। मैं दुनिया भर की खेती से जुड़ी हर तरह की जानकारी आप तक पहुंचाने का काम करती हूं जिससे आपको कुछ लाभ अर्जित हो सके। खेती किसानी की खबरों के लिए आप https://khetitalks.com के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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