आलू-प्याज-टमाटर के किसानों की हुई मौज, बढ़िया मिलेगा दाम, सीधे खाते में आएंगे पैसे, उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को होगा फायदा

सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को अब नुकसान नहीं होगा। क्योंकि उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों तक सब्जियों को पहुंचाने का खर्च सरकार उठाएगी। इसके अलावा भी कई लाभ होने वाले हैं इसलिए जानते हैं योजना क्या है-

टॉप फसलों के किसानों को होगा फायदा

धान-गेहूं की खेती करने वाले किसानों अपनी फसल एमएसपी पर बिक्री करने का मौका मिलता है। लेकिन आलू, प्याज, टमाटर की खेती करने वाले किसानों को यह फायदा नहीं मिलता। उन्हें अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक्री करने का मौका नहीं मिलता। क्योंकि यह कम समय में खराब होने वाली फसले हैं। इनके खरीदी एमएसपी पर सरकार नहीं कर सकती। लेकिन इन किसानों को भी नुकसान नहीं होगा।

क्योंकि अब सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आपको बता दे की बाजार हस्तक्षेप योजना में बदलाव कर दिया गया है। यह एमआईएस योजना पीएम आशा योजना से जुड़ी हुई है, यानी कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान से जुड़ी है, बाजार हस्तक्षेप योजना। जिससे टमाटर आलू प्याज की खेती करने वाले किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है।

अब उत्पादक राज्यों से उपभोक्ता राज्यों तक सब्जियां लाने और उन्हें रखने का खर्च सरकार उठा लेगी। जिससे किसानों को नुकसान नहीं होगा। बल्कि आर्थिक मदद होगी। MIS योजना किसानों के लिए बहुत बड़ा वरदान साबित हो रही है। चलिए आपको बताते हैं इसका लाभ कैसे मिलेगा, क्या शर्ते सरकार ने रखी हैं।

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MIS योजना की शर्तें

केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ टॉप फसलों की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा। यानी कि जो किसान टमाटर प्याज और आलू की खेती करते हैं इसके लिए शर्त यह है कि जब सब्जियों की कीमत पिछले साल सामान्य मौसम की तुलना में इस साल 10 फीसदी कम कीमत पर बिक रही है तो सरकार किसानों को अपनी फसल कम दाम में बेचने नहीं देगी। उनका आर्थिक नुकसान नहीं होगा। बल्कि MIS का फायदा उठा सकते हैं और उपज को पहुचाने या स्टोर करने का खर्चा सरकार से ले सकते हैं।

सीधे खाते में आएंगे पैसे

नए नियम के अनुसार अब किसानों को पैसों के लिए मारामारी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सीधे उनके खाते में पैसे आ जाएंगे। नया नियम यह है कि राज्य के पास फिजिकल खरीदी नहीं होगी। बल्कि किसानों के बैंक खाते में बाजार हस्तक्षेप मूल्य के पैसे और बिक्री मूल्य के बीच अंतर भुगतान किया जाएगा। जिससे किसानों को फायदा ही होगा। खाते में उनकी राशि सुरक्षित रहेगी।

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