MP की कई महिलाएं “एक बगिया मां के नाम” परियोजना से जुड़ रही हैं, जिससे वे सशक्त बन रही हैं और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिल रहा है।
एक बगिया मां के नाम
महिलाओं के लिए मध्य प्रदेश में “एक बगिया मां के नाम” योजना बहुत ही लाभकारी साबित हो रही है। इसमें महिलाओं को फायदा दिया जा रहा है। इस परियोजना से स्वयं सहायता समूह की महिलाएं जुड़ सकती हैं। योजना का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है तथा टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है। इसके तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की निजी जमीन पर बगिया बनाई जाती है, जिसमें फलदार पौधों के पेड़ लगाए जाते हैं।
एमपी के ये जिले आए टॉप 5 में
“एक बगिया मां के नाम” परियोजना का क्रियान्वयन कई जिलों में बहुत अच्छा हुआ है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के सिंगरौली, देवास, आगर मालवा, बैतूल और खंडवा जिले टॉप 5 में शामिल हैं, जहां इस परियोजना का सफल क्रियान्वयन हुआ है। वहीं, विकासखंड की बात करें तो इसमें भी खंडवा शामिल है। इसके अलावा चितरंगी, पुनासा और पंधाना जैसे विकासखंड भी इस सूची में हैं, जहां महिलाएं पौधारोपण कर रही हैं और फलदार वृक्ष लगा रही हैं।

ड्रोन से होगी पौधों की निगरानी
महिलाएं “एक बगिया मां के नाम” परियोजना के अंतर्गत पौधारोपण कर रही हैं, उनकी मॉनिटरिंग ड्रोन से की जाएगी। पौधा लगाने के लिए जमीन और पौधों का चयन वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा। इसमें महिलाओं के पास 0.5 से 1 एकड़ तक जमीन होना अनिवार्य है। इस योजना से जुड़ने के लिए “एक बगिया मां के नाम” मोबाइल ऐप के जरिए समूह की महिलाओं का चयन किया जाता है, जिसे मनरेगा परिषद ने तैयार किया है।
बता दें कि सिपरी सॉफ्टवेयर से क्षेत्र की जलवायु, जमीन और पानी की उपलब्धता के आधार पर यह तय किया जाता है कि कौन-सा फलदार पौधा लगाना चाहिए। इससे महिलाओं को आने वाले समय में अच्छा उत्पादन मिलेगा और हर तरह से यह कदम उनके लिए फायदेमंद साबित होगा। वहीं, मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की होगी, जो पौधों और गड्ढों की वास्तविक स्थिति की निगरानी करेगा। इस तरह आधुनिक विधि से खेती होगी।

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