बिना यूरिया खाद के होगी खेती, खरपतवार भी नहीं उगेगी, फसल का उत्पादन होगा बम्पर, ये बीज खेत में डालें मिट्टी होगी उपजाऊ। चलिए जानें यूरिया खाद का खर्चा कैसे बचाएं।
बिना यूरिया खाद के होगी खेती
फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान यूरिया खाद का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यूरिया एक जैव उर्वरक नहीं माना जाता। यह सेहत के लिए फायदेमंद नहीं है। इसके बजाय किसान ढैंचा की बुवाई कर सकते हैं। ढैंचा के बीज 50-60 रुपए किलो मिल जाते हैं। इसकी खेत में बुवाई करके किसान खेतों में नाइट्रोजन की कमी पूरी कर सकते हैं। जिससे उन्हें यूरिया खाद की जरूरत नहीं पड़ेगी और यूरिया का पैसा भी बच जाएगा। चलिए आपको बताते हैं ढैंचा की खेती करने पर कैसे किसानों को फायदा है।
उत्पादन होगा बम्पर
ढैंचा जिसे हरी खाद भी कहा जाता है, अगर किसान खेतों में इसकी बुवाई करते हैं तो मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पूरी हो जाती है। क्योंकि ढैंचा के गाँठ में नाइट्रोजन का भंडार होता है। ढैंचा के इस्तेमाल से किसानों को खरपतवार की समस्या से भी राहत मिलेगी। खेतों में खरपतवार नहीं आएंगे। जिसके लिए आपको खेतों में ढैंचा बोना है और फसल को दबा देना है। चलिए आपको वीडियो में दिखाते हैं ढैंचा की फसल कैसे होती है और इसकी बुवाई कैसे करनी है यह भी जानेंगे।
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ढैंचा के बीज कब बोयें
अगर आप ढैंचा की खेती करके मिट्टी को उपजाऊ बनाना चाहते हैं तो बता दे कि इसी खेती करने के लिए पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी है। उसके बाद जैसे आप सरसों के बीज बोते हैं इस तरह इसके बीच भी लाइन में या फिर छिड़क सकते हैं। एक से डेढ़ महीने के भीतर पौधे 3 फीट तक लंबे हो जाते हैं। इस तरह हरी खाद ढैंचा की खेत में बुवाई करके किसान यूरिया के इस्तेमाल से बच सकते हैं।
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