डॉक्टरों को महंगी फीस देना बंद करें, बैरल कैक्टस फल का तुरंत करें सेवन, सूखी हड्डियों में भी आ जाएगी जान, जानिए काँटों से ढके फल के फायदे

डॉक्टरों को महंगी फीस देना बंद करें, बैरल कैक्टस फल का तुरंत करें सेवन, सूखी हड्डियों में भी आ जाएगी जान, जानिए काँटों से ढके फल के फायदे

काँटों से ढके पौधे

आज हम एक ऐसे पौधे के बारे में बात करेंगे जिसे हम गमलों और खेतों में उगा सकते हैं। जी हाँ हम बैरल कैक्टस की बात कर रहे है। अगर आप को लाखों रुपए कमाने हैं तो आप बैरल कैक्टस उगाकर कमा सकते हैं। आप अपने घर की खूबसूरती बढ़ाना चाहते हैं तो गमले में बैरल कैक्टस का पौधा लगाएं। बैरल कैक्टस पौधे से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. इस पौधे के इस्तेमाल से आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही महंगी फीस चुकानी पड़ेगी।

बैरल कैक्टस के फायदे

बैरल कैक्टस के पौधे से ढेर सारी बीमारी को दूर करता है।

  • इसके पौधे को सुखाकर उसका काढ़ा पीने से दमा की बीमारी दूर होती है, हड्डियों को मजबूत करते है।
  •  कैक्टस की पत्तियों से जेल निकाले, एक चम्मच शहद, आधा चम्मच इलायची पाउडर, चुटकीभर हल्दी ले, इन तीनो को अच्छे से पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाएं कुछ मिनट में बाद साफ पानी से चेहरा साफ कर लें।
  • कैक्टस की पत्तियों को सलाद के रूप में पर खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व ब्लडप्रेशर, ब्लडशुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करते हैं।
  • नागफनी के पत्ते से कांटें निकालें, गूदे में सरसों का तेल और हल्दी लगाकर गर्म करके, कपडे में बांध ले और जोड़ो के दर्द में रखे तो देखेगे की कुछ ही घंटों में आराम हो जाएगा।
  • कैक्टस के गूदे का जूस में 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से खून की कमी दूर करते है।

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बैरल कैक्टस की खेती

सूखी मिट्टी, बलुई-दोमट मिट्टी और पथरीली जमीन विशेष रूप से पहाड़ी ढलानों पर बैरल कैक्टस की खेती के लिए उपयुक्त होती है। यह पौधा गमलों और खेतों में भी उगाया जाता है। एक गमले में थोड़ी सी मिट्टी लें और फिर उसमें बीज डालें। बीज के ऊपर रेत की एक पतली परत बिछा दें। फिर रेत के ऊपर मिट्टी डालें। गमले को पतली प्लास्टिक शीट से ढक दें। इस पौधे को गर्म स्थान पर रखें क्योंकि इस पौधे को गर्म स्थान बहुत पसंद है। इस प्रकार बीज अंकुरित होते हैं। इनकी देखभाल के लिए दस्ताने पहनें और पौधे को संभालें। इसकी खेती के लिए किसानों को ज्यादा मात्रा में पानी की जरूरत नहीं होती है, साथ ही इसकी खेती में लागत बेहद कम आती है।

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