50 लाख रु सालाना कमा रही गृहिणी महिला, बना गई बिज़नेस शिक्षक, जानिए ऐसा क्या करती है। आइए जाने गृहिणी महिला की सफलता के सफर के बारे में जानते हैं।
गृहिणी महिला खेती में महारत हासिल की
मशरूम उगाने के लिए बहुत कम रखरखाव की ज़रूरत होती है। इसे उगाना आसान काम भी नहीं है। केरल की रहने वाली शिजे वर्गीस कहती हैं कि व्यक्ति को थोड़ी सहनशीलता और समय की जरूरत होती है। जिसे सही तरीके से काम किया जाए तो इस काम में महारत हासिल की जा सकती है।
गृहिणी महिला की सफलता
केरल के एलेप्पी गाँव की रहने वाली यह गृहिणी 2007 से मशरूम उगा रही हैं। जिसे शिजे वर्गीस एक मुनाफा कमाने वाले रोजगार में बदल दिया है। मशरूम की खेती एक बहुत ही छोटा और सुन्दर बिजनेस के रूप में बन कर उभरी है। मशरूम की खेती को ज़्यादा से ज़्यादा लोग पसंद कर रहे हैं। केंद्र और राज्य के कृषि विभाग में भी मशरूम की खेती में मदद करते रहे हैं। मशरूम को मलयालम में ‘कून’ कहा जाता है।
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पति का समर्थन
लेकिन मशरूम की खेती और बेचने का फैसला, उन्होंने कई सालों बाद किया। वो एक गृहिणी थी उनके पास घर चलाने और अपने बच्चों की देखभाल के अलावा, किसी चीज़ के लिए बहुत ज्यादा समय नहीं रहता था। जब उनके बच्चे बड़े हो गए तो उनके पास बहुत समय रहता था। उनके पति का भरपूर समर्थन था।
50 लाख रुपए टर्नओवर बिजनेस
मशरूम को मलयालम में ‘कून’ कहा जाता है। केरल भर में ये बिना खेती के ही, बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। मशरूम की खेती के लिए शिज़े का प्यार, कम उम्र में ही शुरू हो गया था। शिंजेका का ब्रांड ‘कूनफ्रेश’ सालाना 1.8 लाख किलो मशरूम की बिक्री करता है। शिजे के लिए यह सालाना 50 लाख रुपये के टर्नओवर वाला बिजनेस बन चुका है।
बालकनी से शुरू की मशरूम की खेती
शिजे वर्गीस ने मशरूम की खेती को एक शौक के तौर पर अपने घर की बालकनी से शुरू किया था। रबर के पेड़ों से बने लकड़ी के बुरादे से बनाये 6 बेड और 2 पैकेट के साथ शुरू करते किया। शिजे ने अपनी शुरु की खेती में सफलता प्राप्त हुई । शिजे के द्वारा उगाया गए मशरूम, इतने चर्चित हो गए कि कृषि विभाग ने भी मशरूम की खेती के लिए शिंजे को शेड में आमंत्रित करना शुरू कर दिया। मशरूम की खेती सीखने के लिए उनके पास पहुंचने लगे। शिजे एक शिक्षक भी बन गई। शिंजे अभी तक में 15,000 लोगों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दे चुकी है।
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