सरसों और चना की खेती करने वाले किसान अगर लाही कीट से होने वाले नुकसान से बचना चाहते हैं तो आपको बताते हैं इसका उपचार क्या है।
सरसों और चना में लाही कीट से होने वाला नुकसान
सरसों और चना की खेती करने वाले किसान लाही कीट के प्रकोप से इस समय काफी परेशान हो जाते हैं। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि जब तापमान में गिरावट आती है और मौसम में बदलाव होता है, तब असामान्य तापमान के कारण कीट व रोगों की समस्या बढ़ जाती है। इससे पैदावार में भी कमी देखने को मिलती है। इसलिए किसानों को समय रहते उपाय करना चाहिए।
लाही एक प्रकार का कीट होता है, जो नमी बढ़ने या ठंड कम होने पर पत्तियों और नरम तनों पर चिपक जाता है और रस चूसने लगता है। इससे फसल पीली दिखाई पड़ने लगती है, पत्तियाँ पीली होने लगती हैं, फसल की ग्रोथ रुक जाती है और उत्पादन घट जाता है। यह कीट फूलों को भी नुकसान पहुँचाता है, जिससे दाना अच्छे से नहीं बन पाता। इसलिए इसका उपचार बहुत ज़रूरी है।
सरसों–चना में लाही कीट है तो कौन सी दवा छिड़कें?
अगर सरसों या चना में लाही कीट लग गया है तो सुबह या शाम के समय दवा का घोल बनाकर स्प्रे करना चाहिए। क्युराक्रोन नामक एक प्रभावी दवा 2 मिली प्रति 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे की जाती है। जहाँ प्रकोप अधिक हो, वहाँ इस दवा को गैप देकर दो बार छिड़का जा सकता है। यह एक असरदार दवा है जिससे किसानों को अच्छा फायदा मिलता है।
अगर पत्तियाँ बहुत ज्यादा चिपचिपी हो रही हैं तो दो बार स्प्रे ज़रूर करें, वरना फूल सूख सकते हैं और पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। क्युराक्रोन एक कीटनाशक दवा है, जो रस चूसने वाले कीटों को नियंत्रित करने में काम आती है। इससे सफेद मक्खी, थ्रिप्स और मिली बग जैसे कीट भी नियंत्रित होते हैं।

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