अगर दिसंबर में ऐसी सब्जी लगाना चाहते हैं जो कम खर्चे में ज्यादा मुनाफा दे, तो आइये आपको इसके बारे में बताते हैं।
दिसंबर में सब्जी की खेती
दिसंबर में सर्दियां बढ़ने लगती हैं, लेकिन फिर भी इस समय कई तरह की सब्जियां उगाई जा सकती हैं। अगर आपके क्षेत्र में ठंड कम है और आप सब्जियों की खेती करना चाहते हैं, तो यहां एक ऐसी सब्जी के बारे में बता रहे हैं जो राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है। अन्य जगहों पर भी इसकी खेती की जा सकती है। यह फसल 40 दिन में तैयार हो जाती है। अगर आप 10 दिसंबर के बाद और 20 दिसंबर से पहले इसकी खेती कर लेते हैं, तो अच्छा मंडी भाव मिलता है।
यहां देसी टिंडा की बात कर रहे हैं, जिसकी गर्मियों में बहुत अधिक मांग रहती है। इसके भाव 60 से 80 रुपये, या इससे भी अधिक मिल जाते हैं। इसमें रोग–बीमारी कम लगती है और कम समय में अच्छा उत्पादन मिलता है। यदि आपके क्षेत्र में सर्दी ज्यादा होती है, तो क्रॉप कवर का उपयोग करके फसल को बचाया जा सकता है। आईए जानते हैं इसकी अच्छी वैरायटी और खेती का तरीका।
देसी टिंडा की बढ़िया वैरायटी कौन-सी है?
देसी टिंडा की खेती के लिए अच्छी वैरायटी की तलाश में हैं, तो महीको की माही टिंडा, सागर की नरेश टिंडा जैसी वैरायटी बहुत बढ़िया मानी जाती हैं। इसके अलावा किसान अपने क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी और मंडी की मांग के आधार पर भी वैरायटी का चयन कर सकते हैं। यह फसल गर्म जलवायु में ज्यादा उत्पादन देती है, लेकिन सर्दी में क्रॉप कवर का उपयोग करके इसकी खेती की जा सकती है। अब जानिए खेत की तैयारी और रोपाई के उचित अंतर के बारे में।
देसी टिंडा की खेती कैसे करें?
देसी टिंडा की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तैयारी करना आवश्यक है। खेत तैयार करते समय जुताई के बीच एक से दो दिन का अंतर रखें। जिस जमीन में अच्छी धूप पड़ती हो, वहां इसकी खेती करें ताकि फंगस और जड़–फफूंद जैसी समस्याएं न आएं। तीन से चार ट्रॉली पुरानी गोबर खाद मिट्टी में मिलाएं। इसके साथ ही डीएपी, एमओपी, यूरिया जैसी रासायनिक खाद भी उचित मात्रा में डाल सकते हैं। इसके बाद 6 फीट की दूरी पर बेड बनाएं और 1 फीट की दूरी पर पौधे लगाएं।
इसे जिगजैग पद्धति से भी लगाया जा सकता है। देसी टिंडा की खेती जनवरी के पहले सप्ताह तक की जा सकती है। यदि आपके क्षेत्र में फरवरी के महीने में बहुत ज्यादा पाला पड़ता है, तो 20 दिसंबर से पहले ही इसकी खेती कर लें। अगर पाला कम पड़ता है, तो बाद में भी खेती कर सकते हैं।

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