आज सफलता की कहानी में हम बात करेंगे यूपी के हिमांशु नाथ सिंह से जो गन्ने और केले की खेती को आधुनिक तरीके से कर खेती से सालाना टर्नओवर 1 करोड़ तक कमा रहे हैं।
हिमांशु नाथ सिंह का परिचय
हिमांशु नाथ सिंह यूपी के सीतापुर जिले के रहने वाले हैं। वे एक खेती-किसानी वाले परिवार से आते हैं। उनके पिता पारंपरिक तरीके से गन्ने की खेती 40 वर्षों से कर रहे हैं। पिताजी के मार्गदर्शन में हिमांशु नाथ ने खेती बाड़ी सीखी है। उन्होंने पारंपरिक खेती के तरीकों में बदलाव की जरूरत समझी क्योंकि मिट्टी पहले जैसी उपजाऊ नहीं रही और न ही पहले जैसी जलवायु रही। इन सब वजहों से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में ही कमी आई है। हिमांशु नाथ ने अपनी खेती में नवाचार लाकर आधुनिक तरीकों से खेती करने की सोची क्योंकि उन्हें विश्वास था कि उनको इससे बढ़िया नतीजे मिलेंगे।
खेती में नवाचार और आधुनिकता से मिली बंपर उत्पादन
खेती में सबसे ज्यादा मायने रखती की मिट्टी की सेहत का सही होना, इसलिए हिमांशु नाथ ने सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी की उर्वरता सुधारने पर काम किया। उन्होंने खेत में जैविक और रासायनिक खाद को संतुलित मात्रा में मिला कर इस्तेमाल करना शुरू किया। वे गोबर, जैविक खाद,जीवामृत और घन जीवामृत को मिलाकर अपने खेत की मिट्टी में मिलाकर इस्तेमाल करते हैं।
बीज का चुनाव उन्होंने बुद्धिमता से की। उन्होंने गन्ने के बीज में 0118,14235,16202, 15466,14201,15023,18231 और 0238 का इस्तेमाल किया। इन किस्मों की बीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है जिससे उत्पादन और गुणवत्ता भी बढ़िया मिलती है।
बीजों को बोने के समय उन्होंने विशेष ध्यान दिया, कतारों के बीच में उन्होंने 5 फ़ीट की दूरी रखीं और पौधों के बीच की दूरी उन्होंने 1 फीट रखी। इस तरह से पौधे लगाने से पौधों का 90% जमाव होता है और 50% बीज की बचत होती है। वे गन्ने की खेती के साथ केले,आलू, गोभी, फूलगोभी और सरसों जैसे सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग करते हैं जिससे उनके खेत की मट्टी उपजाऊ होती है।
10 हेक्टेयर खेत से 1 करोड़ का सालाना टर्नओवर
हिमांशु नाथ सिंह के खेत में फसलों की उत्पादन बंपर होती है और गुणवत्ता भी बहुत बढ़िया रहती है। उनकी खेती 10 एकड़ में फैली है, जिनमें से उन्हें प्रति हेक्टेयर अभी तक 2470 क्विंटल गन्ने प्राप्त हो चुका है। अच्छी गुणवत्ता के कारण भाव भी बढ़िया मिलते हैं। एक हज़ार की लागत पर 600 रुपये का मुनाफा होता है। उनकी 10 एकड़ की जमीन से उनका सलाना टर्नओवर अभी 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

उत्तर प्रदेश में गन्ने के उत्पादन में वे तीसरे स्थान पर आते हैं जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है। उन्हें राज्य सरकार ने भी सराहा है। अभी तक उन्हें ढ़ेरों अवार्डो से सम्मानित किया जा चूका है। वे गन्ने के बीजों को किसानों को बेचते हैं, साथ ही किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी देते हैं जिससे किसान खेती में सुधार कर सकें।
उनकी सफलता की कहानी यह साबित करती है कि सही दिशा में ज्ञान, समर्पण और आधुनिक तरीकों से खेती करने पर इतिहास रचा जा सकता हैं।
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