नवंबर में ठंडी जलवायु वाला यह फल लगाने के लिए 80 हजार रु सब्सिडी देती है सरकार, जानिए पैसा बरसाने वाली फसल से प्रति हेक्टेयर कितना मिलता है उत्पादन

On: Thursday, November 20, 2025 2:25 PM
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अनुदान

नवंबर में किसान अगर सरकार की मदद से खेती करना चाहते हैं, तो चलिए आपको बंपर मुनाफा देने वाली फसल की जानकारी देते हैं।

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अनुदान

उत्तर प्रदेश के किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है, जिसमें प्रति हेक्टेयर लागत के अनुसार किसानों को 40% अनुदान मिलेगा। अगर खर्चा ₹2,00,000 का आता है, तो ₹80,000 किसानों को सब्सिडी के तौर पर मिलेंगे। यह पैसा किसानों को इसलिए दिया जा रहा है ताकि वे स्ट्रॉबेरी की खेती सही तरीके से कर पाएं।

बता दें कि स्ट्रॉबेरी एक ठंडी जलवायु में लगने वाली फसल है, जिससे किसानों को बहुत मुनाफा होता है, क्योंकि इसकी डिमांड समय के साथ बढ़ रही है। किसान इसे डब्बे में भरकर अच्छी कीमतों में भेज सकते हैं। स्ट्रॉबेरी फल के तौर पर खाई जाती है। इसके अलावा इसका जूस, आइसक्रीम, बेकरी जैसे कई उत्पाद बनते हैं। इसलिए इसकी डिमांड अच्छी है और कीमत भी किसानों को बढ़िया मिलती है। बस फल की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए। अब जानते हैं कि अनुदान का फायदा लेने के लिए कहां करें आवेदन।

स्ट्रॉबेरी की खेती की जानकारी

स्ट्रॉबेरी की खेती पहाड़ी क्षेत्र में अधिक होती है और ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है। लेकिन कई राज्यों के किसान अब इसकी खेती करने लगे हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में भी अब जहां ठंडा क्षेत्र है, वहां मैदानी इलाकों में भी स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है।

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए एक हेक्टेयर में 35,000 से 40,000 पौधे लगाने पड़ते हैं। यह फसल 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में किसानों को इस फसल से 10 से 15 टन तक उत्पादन मिल सकता है। अगर किसान शहरी क्षेत्र के आसपास हैं, तो इसकी खेती से तगड़ी आमदनी हो सकती है। फल की तुड़ाई के बाद इसकी अच्छी सी प्रोसेसिंग करके मंडी तक पहुंचाया जाता है।

स्ट्रॉबेरी की खेती में सब्सिडी कैसे मिलेगी?

स्ट्रॉबेरी की खेती के खर्चे को घटाने हेतु सरकार अनुदान दे रही है, जिसमें उत्तर प्रदेश के किसान अपने उद्यान विभाग कार्यालय में जाकर आवेदन जमा कर सकते हैं। किसानों को पंजीकरण करना होगा। दस्तावेजों की बात करें तो आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर और खतौनी जैसे दस्तावेज किसानों को जमा करने होंगे।

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