MP के किसानों के लिए यह फसल मुनाफे का सौदा बन रही है। हर्बल प्रोडक्ट बनाने में इसका इस्तेमाल होता है और कम लागत में किसान लखपति बन सकते हैं।
रोज़ेल की खेती
MP के किसानों के लिए नीमच मंडी में कई तरह के उत्पाद बिकते हैं, जिनसे किसानों को धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की तुलना में ज्यादा मुनाफा मिलता है। ऐसे में आज हम एक और फसल की जानकारी लेकर आए हैं, जिसकी कीमत वहां पर अधिकतम मिलती है। इस फसल का नाम रोज़ेल (Hibiscus) है। यह लाल रंग का पौधा होता है, जिसमें लाल रंग के फूल खिलते हैं और हल्की हरी रंग की पत्तियां होती हैं।
किसान इसके फूल और उनकी पत्तियों की बिक्री करते हैं। केवल ₹15,000 की लागत लगाकर किसान इससे ₹1,00,000 तक कमा लेते हैं। नीमच मंडी में इसकी अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को बड़ा मुनाफा होता है।
रोज़ेल का इस्तेमाल
रोज़ेल/हिबिस्कस का इस्तेमाल खाद्य पदार्थ, औषधीय उपयोग और सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। इसके फूलों के हिस्से से सॉस, जेली, शरबत जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। यह प्राकृतिक खाद्य रंग का काम भी करता है। पारंपरिक चिकित्सा में इसकी कई तरह की दवाएं बनाई जाती हैं। ग्रीन टी और शरबत में भी इसका उपयोग होता है।
प्रति बीघा लगभग 3 क्विंटल तक इसके फूलों की पत्तियां मिलती हैं, जिनकी कीमत ₹20,000 से लेकर ₹40,000 प्रति क्विंटल तक मिल सकती है। गुणवत्ता के आधार पर कीमत बढ़ या घट सकती है।

ना खाद, ना कीटनाशक का इस्तेमाल
इस फसल में खर्च कम आता है क्योंकि किसानों को किसी तरह का खाद इस्तेमाल नहीं करना पड़ता। यह फसल रोग-प्रतिरोधक होती है, इसलिए कीटनाशक की जरूरत भी नहीं पड़ती। इससे किसानों का काफी खर्च बच जाता है।
रोज़ेल की खेती का समय
रोज़ेल हिबिस्कस की खेती जून से जुलाई के बीच की जाती है। इसे बीजों के माध्यम से बोया जाता है। इसकी फसल लगभग 5 महीने में तैयार हो जाती है।
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