एक बीघा जमीन से ही अगर किसान अमीर होना चाहते हैं, तो चलिए एक ऐसी जड़ी-बूटी की खेती के बारे में बताते हैं, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता है।
नवंबर में जड़ी-बूटी की खेती
नवंबर में इस जड़ी-बूटी की खेती की जा सकती है। इसमें गेहूं से ज्यादा किसानों को फायदा है, क्योंकि इस समय इसकी कीमत ₹20,000 से ₹30,000 प्रति क्विंटल है। एक बीघा से किसानों को पाँच क्विंटल तक जड़ का उत्पादन मिल जाता है। तो इस हिसाब से एक बीघा से ही किसान ₹1,50,000 तक कमा सकते हैं। आइए आपको बताते हैं यह फसल कौन-सी है, कितने दिन में तैयार होती है और इसकी जरूरत कहाँ पड़ती है।
इस जड़ी-बूटी फसल का नाम और खेती का समय जानिए
दरअसल, यहाँ पर अश्वगंधा की बात की जा रही है, जिसका इस्तेमाल पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। यह एक जड़ी-बूटी ही है। अश्वगंधा की खेती करें तो 120–130 दिन में फसल तैयार हो जाती है। इसमें खाद-दवाई का खर्चा बहुत कम आता है। बिना खाद-दवाई के भी किसानों को अच्छा उत्पादन मिल जाता है। बस इसके अनुसार खेत की मिट्टी होनी चाहिए।
आपको बता दें कि इसके लिए जल निकासी वाली लाल, काली या फिर दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। 20 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान इसकी खेती के लिए उपयुक्त होता है।

रोपाई का तरीका और प्रति बीघा लगने वाला बीज की मात्रा
अश्वगंधा की खेती के तरीके की बात करें, तो आप खेत में मेड बनाकर लगा सकते हैं। 60 सेंटीमीटर की दूरी पर मेड बनाएं और 30 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधों की रोपाई करें। आप डायरेक्ट बीज के द्वारा या फिर नर्सरी तैयार करके भी इसकी रोपाई कर सकते हैं। इसे 4 से 5 बार पानी देकर उगाया जा सकता है। अश्वगंधा की खेती के लिए एक बीघा में लगभग 3 किलो बीज लगता है। एक बीघा से चार से पाँच क्विंटल जड़ का उत्पादन किसानों को मिल सकता है। अश्वगंधा की जड़ मंडी में ₹20,000 से ₹30,000 प्रति क्विंटल तक बिक जाती है।
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